जयप्रकाश नगर निवासी विजेता तिवारी ने शिपिंग क्लब फैक्ट्री से चश्मा खरीदने के लिए ऑनलाइन ऑर्डर किया। टूटा हुआ चश्मा डिलेवर होने पर उसने क्पनी की साइट पर दिए गए न्बर पर कॉल कर क्पनी के एक्जीक्यूटिव को चश्मा टूटा होने की जानकारी दी और रुपए वापस मांगे। कुछ ही देर बाद उसके खाते से 58 हजार रुपए कंपनी के खाते में चले गए।
केस 2
ग्वारीघाट रोड निवासी एक युवक ने कुछ समय पूर्व एक घड़ी का ऑर्डर किया। डिलेवरी में उसे घड़ी की जगह दूसरा सामान भेजा गया। क्पनी की साइट पर शिकायत करने पर उसे एक ङ्क्षलक भेजा गया, जिसमें शिकायत रजिस्टर्ड करने और ओटीपी डालने को कहा गया तो उसने साइट ब्लॉक कर दिया।
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गूगल में भी नंबर
साइबर ठग गूगल पर भी अपने न्बरों को क्पनी के न्बरों के नाम पर अपलोड कर देते हैं। इन्हें बार-बार सर्च करने पर वे ऊपर आ जाते हैं। यदि कोई उक्त कंपनी का नंबर गूगल में सर्च करता है तो उन्हें साइबर ठगों का नंबर मिल जाता है। इसके जरिए वे ठगी करते हैं।
फेक वेबसाइट और ऐप से बचें
आप जब भी ऑनलाइन शॉपिंग करें, तो ध्यान दें कि कहीं आप फर्जी एप या वेबसाइट से खरीदारी तो नहीं कर रहे। कभी भी किसी अनजाने लिंक से कोई एप डाउनलोड न करें, सोशल मीडिया या मैसेज के द्वारा मिलने वाले अनजाने लिंक के जरिए शॉपिंग न करें। हमेशा ही विश्वसनीय वेबसाइट या ऐप से ही ऑनलाइन शॉपिंग करें, वरना आप ठगी के शिकार हो सकते हैं।
मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन का करें इस्तेमाल
आपको मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन की सुविधा मिलती है। इसके तहत अगर कोई कभी आपके खाते पर लॉगिन करने का प्रयास करता है, तो आपको ईमेल और मैसेज द्वारा सूचित किया जाता है। साथ ही मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन के जरिए हैकर्स के हमले को रोका जाता है। इसलिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए।
आईडी-पासवर्ड कभी भी सेव करके न रखें
कई लोग ऑनलाइन शॉपिंग करते समय एप या वेबसाइट पर अपनी बैंकिंग जानकारी, डेबिट-क्रेडिट कार्ड का नंबर आदि सेव कर देते हैं, ताकि दोबारा उन्हें ये चीजें भरनी नहीं पड़ती है। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि हैकर्स और जालसाज समय-समय पर इन पर हमला करते हैं और आप फ्रॉड के शिकार हो सकते हैं।
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साइबर ठग नए-नए तरीकों से वारदात को अंजाम दे रहे हैं। विश्वसनीय साइट से ही प्रोडक्ट खरीदने का ऑर्डर करें। ऐसा न करने पर ठगी का शिकार हो सकते हैं।
– एचआर पांडे, सीएसपी, गोरखपुर
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