भाईदूज पर तिलक वंदन कर पेड़-पौधों का बनाया अपना भाई, अनूठी है यहां की परंपरा
समर्थ सदगुरू के सानिध्य में भाई दूज पर अनूठी पहल का केंद्र बना सिद्ध घाट तीर्थ क्षेत्र
in bhai dooj tree is Brother in here
जबलपुर। दीपावली के पांच दिवसीय आयोजन के अंतिम दिन शनिवार को घर-घर में बहनों ने भाईयों का तिलक-वंदन कर भाईदूज मनाया। लेकिन सिद्धघाट तीर्थ क्षेत्र में भाईदूज की अनूठी परंपरा का निवर्हन हुआ। यहां पर मौजूद पेड़-पौधों को बहनों ने अपना भाई बनाया। नर्मदा मिशन जुड़ी बहनों ने भाईदूज पर देववृक्ष मूर्तियों का तिलक वंदन किया। देव वृक्षों का पूजन और आरती कर प्रकृति संरक्षण संवर्धन का संदेश दिया।
पीपल, नीम, बेल में मेरा स्थान
देववृक्ष मूर्ति पूजन के दौरान समर्थ सदगुरू भैयाजी सरकार ने कहा कि माँ नर्मदा महापथ पर देववृक्षो के रूप में गुरुसत्ता देव सत्ता का पूजन करें। महागुरु कहते है वृक्षों में पीपल में मैं हूं। औदुम्बर मुझको मानो। उन्होंने कहा कि वट, पीपल, नीम, औदुम्बर, बेल जहां इन देववृक्षो को देखो वही मेरा स्थान जानो व मानो। यहीं समझो कि मै खड़ा हूँ एक देववृक्ष के रूप में।
कई वर्षों से चली आ रही पंरपरा
भाईदूज के पर्व को नर्मदा मिशन समर्थ सदगुरू परिवार के सदस्य विशेष रूप से मनाते है। भैया जी सरकार के अनुयायी भाई दूज का पूजन माँ नर्मदा के पथ पर एवं अन्य प्रांतों में अपने आस पास की जीवनदायनी के पथ पर या देव स्थलों पर या आस पास स्थित देववृक्ष मूर्तियों का तिलक वंदन कर करते है। भाईदूज पर देववृक्षों के पूजन की यह परंपरा मिशन में करीब एक दशक से चली आ रही है। इसमें मातृशक्ति ने बड़े उमंग और उत्साह से भाग लिया।
सुबह से उमड़ी भीड़
भाईदूज के पर्व पर होने वाली इस अनूठी परंपरा में शामिल होने के लिए सुबह से सिद्ध घाट में अनुयायियों की भीड़ लगी रही। माताओं और बहनों ने समर्थ सदगुरू के सानिध्य में भाईदूज का त्योहार मनाया। इस दौरान वृक्षों को तिलक लगाकर प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का संकल्प किया। जीवनदायनी मां नर्मदा को स्वच्छ रखने का संदेश दिया।
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