जबलपुर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही, पहली बार में नहीं कराए थे नमूनों के परीक्षण
जबलपुर•Jun 05, 2020 / 11:26 pm•
shyam bihari
A 21-year-old youth from Karanjia’s pandari waters turns out to be Corona positive
जबलपुर। कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद जबलपुर शहर में संदिग्ध लक्षण पर मरीज तो अस्पताल पहुंचे, लेकिन उनकी जांच में लापरवाही हुई। शहर में कोरोना संक्रमितों में कई की हिस्ट्री चौंकानी वाली है। ये ऐसे व्यक्ति है जो सर्दी-खांसी और बुखार होने पर विक्टोरिया अस्पताल में जांच के लिए गए। लेकिन डॉक्टरों ने मरीजों को कोरोना संदिग्ध नहीं माना। सर्दी-खांसी की दवा देकर घर भेज दिया। घर पहुंचने के बाद मरीजों की सांस अटकने लगी तो दोबारा अस्पताल पहुंचे। तब जाकर डॉक्टरों ने उनके नमूनों की जांच कराई। रिपोर्ट आई तो मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले। कोरोना संदिग्ध की जांच में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से भी संक्रमण शहर में फैलता गया। हैरानी वाली बात ये है कि कंटेनमेंट जोन से ताल्लुक रखने वाले कुछ लोगों को संदिग्ध लक्षण का अहसास होने पर जांच के लिए गिड़गिड़ाना तक पड़ा। उसके बावजूद पहली बार में उनके नमूने नहीं लिए गए। बाद में वे जांच में पॉजिटिव मिले। जानकारों का मानना है कि यदि पहले ही संदिग्धों के नमूनों का परीक्षण कराया गया होता तो उनके सम्पर्क में आने वाले लोग कम होते। इससे संक्रमण के फैलाव को रोकने में मदद मिलती।
जारी है लापरवाही
शहर में कोरोना संक्रमण नियंत्रित रखने का दावा करकेअपनी पीठ थपथपाने वाले प्रशासन की निगरानी में पहले दिन से ही चूक हुई। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संदिग्धों की जांच में पहले दिन से लापरवाही बरती। शुरुआती दौर में क्वारंटीन एक संदिग्ध ने सर्दी-बुखार की सूचना दी तो उसे अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस भेजने में सुबह से शाम हो गई। लॉकडाउन में गरीबों को अनाज बांटने वाले एक व्यक्ति को हरारत और गले में खराश महसूस हुई। वह जांच के लिए अस्पताल गया तो डॉक्टरों ने उसे स्वस्थ्य बताकर लौटा दिया। दो दिन बाद उसे सांस लेने में तकलीफ बढ़ गई। दोबारा अस्पताल जाने पर भी डॉक्टरों ने नमूना लेने से मना कर दिया। बाद में जांच हुई तो रिपोर्ट कोविड-19 पॉजिटिव आई। कोरोना संदिग्धों की जांच में अनदेखी का यह मामला हाल में मिले तीन कोरोना संक्रमित के केस में भी सामने आया है। लापरवाही का सिलसिला नहीं थमने से संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।
इन मामलों ने खड़े किए सवाल
12 अप्रैल को संक्रमित मिले व्यक्ति की तबियत खराब होने पर परिजन 10 अप्रैल को विक्टोरिया हॉस्पिटल ले गए थे। डॉक्टरों ने सामान्य मरीज की तरह दवा देकर घर भेज दिया। घर पहुंचकर तबियत बिगड़ी तो मरीज को परिजन एक निजी अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने संदिग्ध बताया। कोरोना जांच हुई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आयी। बाद में इसी मरीज के रहवासी क्षेत्र से कई संक्रमित मिले।
13 मई को संक्रमित मिले एक व्यक्ति को कुछ दिन से कमजोरी और सांस लेने में कमजोरी महसूस हो रही थी। वह जांच के लिए विक्टोरिया अस्पताल गया। डॉक्टरों ने उसको भ्रम होने की बात कहकर लौटा दिया। दो दिन बाद उसे रात में उसे लगा जैसे सांस अटक रही है। उसने मेडिकल अस्पताल जाकर जांच कराई। वह कोरोना पॉजिटिव मिला। यह व्यक्ति कंटेनमेंट जोन का निवासी था।
2 जून को संक्रमित मिले एक व्यक्ति को दो माह से सर्दी-खांसी थी। पॉजिटिव मिलने से पहले वह उपचार के लिए दो बार विक्टोरिया अस्पताल जा चुका था। 3 जून को संक्रमित मिला एक व्यक्ति भी संदिग्ध लक्षण पर जांच कराने के लिए पहले एक निजी और दो बार विक्टोरिया अस्पताल में जांच के लिए गया। उसे सामान्य दवा देकर घर भेज दिया गया। बाद में जांच में पॉजिटिव मिला।
आंकड़ों की बाजीगरी
शहर में कोरोना संदिग्धों की जांच करके संक्रमण रोकने की बजाय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आंकड़ों की बाजीगिरी करते रहे। बेहतर स्थिति बताने के लिए डिस्चार्ज बढ़ाने से लेकर संक्रमितों और मौत के आंकड़े कम दर्शाने की वजह खोजने में माथापच्ची में करते रहे। इस खेल में एक बार संक्रमित के केयर टेकर को डिस्चार्ज बता दिया गया। एक ही संक्रमित के स्वस्थ्य होने पर उसे दो बार डिस्चार्ज दर्शा दिया गया। उपचार के दौरान हुई एक वृद्ध की मौत को भी कई दिन तक कोरोना आंकड़ों में शामिल नहीं किया। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लगातार आंकड़ों की हेराफेरी से लेकर संदिग्धों की जांच, संक्रमितों की शिफ्ंिटग से लेकर आइसोलेशन में लापरवाही बरतते रहे। गड़बडिय़ों पर कार्रवाई की बजाय प्रशासन भी कमियों को ढंकता गया। कड़ी कार्रवाई नहीं होने से अधिकारियों की लापरवाही बढ़ती जा रही है। संक्रमण अब बेकाबू हो रहा है। हर दिन नए इलाके में संक्रमण की दस्तक हो रही है।
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