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प्रोजेक्ट की सुस्त चाल : जर्जर सडक़ की मरम्मत भी नहीं कराई
पांच साल में जबलपुर-भोपाल हाइवे का बेस भी नहीं बन सका
हद तो यह है कि सडक़ पर गहरे गड्ढे हो गए हैं। वाहन क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। इसके बावजूद न तो गड्ढों को पूरा गया न ही सडक़ की मरम्मत कराई गई। तेवर से लेकर कूडऩ, भेड़ाघाट समेत कई गांवों के लोगों में प्रोजेक्ट की सुस्त चाल को लेकर खासी नाराजगी है। सियासी जानकारों की मानें तो इस प्रोजेक्ट को लेकर निर्माण एजेंसी एमपीआरडीसी के लचर रुख और सरकारी महकमे की लापरवाही का असर चुनाव में देखने को मिल सकता है।
इन गांवों के लोगों का भुगतान बकाया –
तेवर, कूडऩ, बिल्हा, झिन्ना, भीटा गांव के कई लोगों की जमीन का अधिग्रहण बकाया है। जबकि बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं, जिनकी जमीन का अधिग्रहा हो गया है, लेकिन मुआवजे का भुगतान नहीं हुआ है। इतना ही नहीं, आर्बिटेशन के भी 2500 प्रकरण लम्बित हैं।
जमीन की उपलब्धता के अनुसार सडक़ का निर्माण कराया जा रहा है। जिन जमीनों का मुआवजा और आर्बिटेशन प्रकरण लम्बित हैं, उनके निपटारा होने के बाद ही प्रोजेक्ट को गति मिल सकेगी।
– आरएस शर्मा, प्रोजेक्ट मैनेजर
यह है स्थिति
64 किमी का पहले चरण में जिले की सीमा में होना था निर्माण
419 करोड़ रुपए लागत थी पहले चरण में निर्माण कार्य की
10 लेन सडक़ निर्माण का था प्रोजेक्ट
मार्च 2018 में पूरा होना है निर्माण
05 चरणों में भोपाल तक होना था निर्माण
2011 में शुरू हुई जमीन की नापजोख
2013 में शुरू हुआ जमीन का अधिग्रहण , जो अब भी अधूरा है
02 बार ठेकेदार काम छोडकऱ भागे
बड़ी संख्या में लोगों का मुआवजा भुगतान बकाया