एनएसयूआई से जुड़े छात्र नेताओं ने ऐसी सूची तैयार की है जिसके तहत कैंट विधानसभा में 823 ऐसे मतदाता चिन्हित हुए है जो अब वहां रहते ही नहीं, बावजूद इसके उनके नाम मतदाता सूची में शामिल हैं। एनएसयूआई नेताओं का कहना है कि ये लोग वर्षों पूर्व घर छोड़ कर अन्यत्र चले गए। इसमें ऐसे भी कई नाम हैं जो सालों पहले दिवंगत हो गए। एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष विजय रजक का आरोप है कि उन्होंने कलेक्ट्रेट में इस संबंध में शिकायत भी दी थी लेकिन बोगस नामों को हटाने की पहल अब तक नहीं की गई।
विजय रजक का कहना है कि आठ फरवरी को चुनाव आयोग ने नगर निगम चुनाव के लिए मतदाता सूची का प्रकाशन किया था। उसके बाद संगठन के लोगों ने सुभाष चंद्र बेनर्जी वार्ड-65 सिविल लाइन इलाके का सर्वे किया तो पाया की सूची में 823 फर्जी मतदाताओं के नाम भी सम्मलित है। यह वे मतदाता है जिनकी या तो मृत्यु हो चुकी है, या जो शादी के उपरांत बाहर जा चुके हैं अथवा ट्रांसफर हो जाने या अन्य कारणों से शहर से वर्षों पहले कहीं और चले गए।
उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने आपत्ती की तिथि 15 फरवरी रखी थी, एनएसयूआई ने निर्धारित तिथि से पूर्व ही सभी 823 मतदाताओं का सूची से नाम अलग करने के लिए आपत्ति दर्ज कराई। उस सूची के आधआर पर बूथ के बीएलओ ने सत्यापन भी किया और प्रत्येक फर्जी मतदाता का पंचनामा बनाकर कलेक्ट्रेट में जमा कर दिया। लेकिन दो सुनवाई के बाद भी अब तक सभी फर्जी मतदाताओं का नाम सूची से अलग नहीं हो सका है। संगठन ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर संबंधित अधिकारियों से मुलाकात कर इन सभी फर्जी मतदाताओं का सूची से नाम अलग करने के मांग की।