खर्च हो रहा डेटा पैक
अभिावकों का कहना है कि स्कूलों में ऑनलाइन स्टडी के नाम पर सिर्फ आईवॉश हो रहा है। बच्चों की पढ़ाई में कुछ ही दिन में 1.5 से 3 जीबी डाटा खत्म हो रहा है। एक ही बच्चे की पढ़ाई में एक जीबी से ज्यादा डाटा खत्म हो जाता है। घर में 2 या 3 बच्चे हैं तो दोबारा पैक डलवाना पड़ रहा है लेकिन इसका रिजल्ट कुछ नहीं आ रहा है। स्कूल शिक्षक अपनी मर्जी से मैटेरियल भेज रहे हैं।
इनका लिया जा रहा सहारा
– स्वयंप्रभा चैनल 27,28,31
– डीटीएच चैनल पाणिनि, शारदा
– विविध भारती के माध्यम से
– ई पाठशाला, गूगल नेट
– टीचर्स, स्टूडेंट वाट्सएप ग्रुप
मोबाइल फोन कहां से लाएं
अभिभवकों की एक और परेशनी है कि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एंड्राइड मोबाइल चाहिए। यदि दो बच्चें हैं तो दोनों के लिए फोन की व्यवस्था कहां से की जाए। ऐसे में अभिभावकों की समस्याएं कम होने की जगह और बढ़ गई है जिससे अभिभावक खासे परेशान हैं।
घंटों गड़ाए रहते हैं आंख
कई स्कूलों द्वारा क्रिएट किए गए स्टूडेंटस ग्रुप में इतना ज्यादा स्टडी मैटेरियल भेज दिया जाता है कि बच्चों को घंटों मोबाइल पर आंख गड़ाए रहना पड़ता है। ऐसे में छोटे मासूम बच्चों की आंखों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। उन्हें आंखों में जलन और इरीटेशन की शिकायतें हो रही हैं।
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर लिंक
शहर के स्कूलों ने जूम, ई पाठशाला, गूगल मीटिंग, गूगल क्लास रूम जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्म का सहारा लिया है। शहर के कुछ स्कूल द्वारा जूम प्लेटफार्म के माध्यम से छात्रों के लॉगिन पासवर्ड तैयार कर ऑनलाइन स्टडी कराई जा रही है। स्कूल द्वारा पहले छोटी कक्षा से लेकर 9वीं से 12वीं के छात्रों को इसमें जोड़ा गया है। क्लासवार और विषय वार टीचर के माध्यम से सुबह एवं शाम के सत्र में ऑनलाइन क्लास संचालित कर रहा है।
यह समस्या
– मोबाइल, कम्प्यूटर की अलग से व्यवस्था
– ग्रामीण क्षेत्र में नेटवर्र्किंग की समस्या
– घंटों मोबाइल पर चिपके रहना
– लगातार मोबाइल देखने से सेहत पर असर
– आर्थिक रूप से बढ़ रहा भार।
ऑनलाइन प्लेटफार्म पर पढ़ाई की जा रही है। इसमें इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि क्षमता से अधिक छोटे बच्चों को वर्क न दिया जाए। ग्रुप में जरूरी चीजें ही पढऩे दें।
सुनील नेमा, जिला शिक्षा अधिकारी
ऑनलाइन पढ़ाई में डेटा पैक लगातार खत्म हो रहा है। अभिभावकों पर भी आर्थिक भार पड़ रह है। ऑनलाइन पढ़ाई तो हो लेकिन सुनियोजित तरीके से।
जया चतुर्वेदी, अभिभावक
ऑनलाइन पढ़ाई एक लिहाज से लॉकडाउन में पढ़ाई का अच्छा माध्यम है। लेकिन, छोटे बच्चों की सेहत को देखते हुए कोर्स मटेरियल को सीमित किया जाना चाहिए।
प्रिया ताम्रकार, अभिभावक