about- शनिदेव का प्राकट्य दिवस 15 को. वट सावित्री व्रत में पूजा अर्चना करेंगी महिलाएं
ज्योतिर्विद जनार्दन शुक्ला के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि देव का प्राकट्योत्सव मनाया जाता है। आमतौर पर अमावस्या में पुण्य के लिए श्रद्धालु स्नान, दान, पितर तर्पण करते हैं। जबकि, शनि प्राकट्य के कारण यह अमावस्या श्रेष्ठ मानी जाती है। इस दिन शनि देव का तेलाभिषेक, मंत्र जाप, पीपल पेड़ पर जल देना व पेड़ के नीचे दीपक जलाना, वस्त्र दान, छाया दान करने वाले भक्तों पर शनि देव कृपा करते हैं। शनि ग्रह दशा के प्रभावित जातकों को भी अमावस्या के दिन शनि पूजा अवश्य करनी चाहिए। भगवान शिव के अभिषेक और हनुमानजी की भक्ति से भी शनि देव की कृपा बरसती है।
वट वृक्ष की परिक्रमा
वट सावित्री व्रत की उपासना भी 15 मई को होगी। सुहागिनें अखंड सौभाग्य की कामना से वट वृक्ष की १०८ बार परिक्रमा कर धागा बांधेंगी। शास्त्रों के अनुसार वट सावित्री व्रत सती सावित्री ने किया था, उन्होंने व्रत से प्राप्त शक्ति से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
अधिकमास की उपासना 16 से
शनि देव के प्राकट्य उत्सव के दूसरे दिन १६ मई से अधिकमास शुरू होगा। अधिकमास में एक माह भक्ति की जाएगी। जो तीर्थ दर्शन, स्नान-दान और धार्मिक अनुष्ठान करेंगे। जबकि, वैवाहिक कार्यक्रम नहीं होंगे। १३ जून को अधिक मास समाप्त होगा।
बैसाख पूजा 11 को
जबलपुर. तमिल समाज की ऊरकुडी बैसाख पूजा ११ मई को होगी। तिरुवेंकट मुडैयान तमिल सभा के तुलसीदास द्रविड़ ने बताया कि सदर की गली नम्बर २१ में देवी पूजा की जाएगी।