scriptकोर्ट की सख्ती से थर्रा उठा यहां का राजनीतिक गलियारा | The statement of the cabinet minister of Madhya Pradesh | Patrika News
जबलपुर

कोर्ट की सख्ती से थर्रा उठा यहां का राजनीतिक गलियारा

मप्र के कैबिनेट मंत्री के बयान के मायने सब अपने-अपने ढंग से निकाल रहे हैं
The statement of the cabinet minister of Madhya Pradesh

जबलपुरSep 26, 2019 / 08:45 pm

shyam bihari

neta

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जबलपुर. हरी-भरी पहाडिय़ों के बीच बसा जबलपुर शहर। यहां की पुरानी सेटेलाइट तस्वीरें देखी जाएं, तो लगता है कि यह शहर प्रकृति की गोद में बसा है। समय के साथ शहर की आबादी बढ़ी। समतल जगह में क्रॉन्क्रीट के जंगल उगते गए। हरियाली सफेदी में बदलती गई। जगह नहीं बची, तो इक्के-दुक्के लोगों ने पेड़ों को काटकर घर बना लिए। फिर से जगह कम पड़ी, तो लोग पहाडिय़ों पर बसने लगे। पहले पहाडिय़ों को तोड़े बिना मकान बने। फिर पहाडिय़ों को तोड़कर प्लॉटिंग होने लगी। यह कहानी दो पक्षों को एक साथ लेकर चलती है। एक तरफ जरूरत मंद। दूसरी तरफ रसूखदार। जरूरतमंदों ने अपने लिए सिर्फ झोपड़ी रूपी आशियाने बनाए। रसूखदारों ने प्लॉटिंग करके पैसे कमाए। राजनीतिक रसूखदारों ने वोट की खातिर बिजली-पानी-सड़क दुर्गम पहाडिय़ों तक पहुंचाकर वाहवाही लूटी। फिर आया कहानी में नया मोड़। पहाडिय़ों को बचाने के लिए कोर्ट में याचिकाएं लगीं। कोर्ट ने गम्भीरता दिखाई। कहा-यह तो प्रकृति के साथ खिलवाड़ है।
ढहाए जाने लगे आशियाने
कोर्ट ने कहा पहाडिय़ां शहर के लिए जरूरी हैं। इन पर किसी भी हालत में अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। आदेश दिया कि शहर की सभी पहाडिय़ों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए। इसके बाद निगम का अमला हरकत में आया। कुछ पहाडिय़ों से तमाम मकान ढहा दिए गए। कार्रवाई का नम्बर शहर से सटी दूसरी पहाडिय़ों का आया, तो प्रदेश के एक कैबिनेट मंत्री ने लोगों की सभा को सम्बोधित कर दिया। उसमें कह दिया कुछ भी हो जाए, वे पहाडिय़ों के मकान टूटने नहीं देंगे। फिर क्या था मामला एक दोबारा कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की। यहां तक यह भी कह दिया कि जब जिम्मेदार ही इस तरह का बयान देंगे, तो कोर्ट को बंद देने चाहिए। मामला जबलपुर से जुड़ा था। लेकिन, पूरे प्रदेश में हड़कम्प मच गया। जबलपुर की राजनीतिक गलियोंमें तो भूचाल सा आ गया। लेकिन, मजबूरी ऐसी है कि एक भी नेता ने बयान नहीं दिया। लेकिन, आम लोगों में चर्चा है कि इस मामले के बाद नेतओं की बयानबाजी पर रोक लगेगी। आए दिन जनता के भले के नाम पर बयान देने वाले नेता जबलपुर शहर में तो फिलहाल सन्नाटे की स्थिति में हैं। विपक्ष के नेता भी कुछ बोलने से बच रहे हैं। हालांकि, जनता में दो तरह का माहौल है। एक पक्ष कोर्ट के साथ खड़ा है। दूसरा पक्ष अपने नेताजी के साथ है।

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