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यहां कैदियों से वीआईपी मुलाकात है मामूली बात

सेंट्रल जेल की चारदीवारियां न तो बंदियों के लिए सुरक्षित हैं और न जेल प्रशासन के लिए। इसका खुलासा जनवरी और जुलाई में हुई वारदातों से हो गया है।

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sudarshan@123 kumar

Nov 09, 2016

central jail jabalpur

central jail jabalpur

जबलपुर। सेंट्रल जेल की चारदीवारियां न तो बंदियों के लिए सुरक्षित हैं और न जेल प्रशासन के लिए। इसका खुलासा जनवरी और जुलाई में हुई वारदातों से हो गया है। जनवरी माह में एक बंदी घायल अवस्था में जेल के भीतर मिला था, उसकी मौत भी हो गई, लेकिन जेल प्रशासन आज तक यह पता नहीं लगा पाया कि उसकी मौत कैसे हुई, वहीं जेल में चोरी करने वाला आज भी जेल प्रशासन और पुलिस के हाथ नहीं आ सका। जेल अफसर बंदियों और कैदियों से सांठगांठ कर उनकी वीआईपी मुलाकात कराते हैं। यह मुलाकात जेल के भीतर सहायक जेल अधीक्षक के कक्ष के सामने होती हैं।

यहां घंटों रसूखदार बंदी और कैदी अपने परिजनों और करीबियों से मिलते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां होने वाली मुलाकातों का रिकॉर्ड मुलाकात रजिस्टर में दर्ज नहीं किया जाता। सेंट्रल जेल में सीसीटीवी कैमरे तो लगे हैं, लेकिन इनकी पहुंच बैरकों तक नहीं है। बंदी और कैदी बैरकों में क्या कर रहे हैं, इसका पता जेल अफसरों को नहीं लग पाता। सामान्यत: कैमरे जेल की दीवारों और परिसरों की निगरानी करते रहते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि कई कुख्यात बदमाश जेल में होने के बाद भी बैरकों में कैमरे नहीं हैं।

केस-1
मामला:- बंदी की हुई थी मौत
दिनांक:- 15 जनवरी
विवरण:- बालाघाट के भोड़सी जिले में रहने वाले सीताराम रामराव हत्या के मामले में सजा काट रहा था। 15 जनवरी को वह खून से लथपथ जेल के मंदिर के पास मिला। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसने 16 जनवरी को दम तोड़ दिया। सीताराम घायल कैसे हुआ। जेल प्रशासन इसका पता नहीं लगा पाया।

केस-2
मामला:- जेल में चोरी का प्रयास
दिनांक:- 1 जुलाई
विवरण:- 30 जून की रात अज्ञात ने जेल के भीतर प्रवेश किया और जेल के भंडार गृह का ताला तोड़कर वहां से भाग निकला। मामले में सिविल लाइंस थाने में एफआईआर कराई गई, लेकिन न तो पुलिस आरोपी तक पहुंच पाई और न ही जेल प्रशासन यह पता लगा पाया कि आखिर वारदात को किसने अंजाम दिया।

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