शहर में जल रसातल में समा रहा है। भूजल विदों के अनुसार लगातार भूजल स्तर गिरना भविष्य के बड़े जलसंकट का संकेत है। इसके बावजूद नगर निगम वाटर हार्वेङ्क्षस्टग की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। बारिश का सीजन शुरू होने को डेढ़ महीने का समय है। लेकिन, इस बार भी अभी तक वाटर हार्वेङ्क्षस्टग को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। यहां तक की भवन नक्शा स्वीकृति के दौरान भी लोगों से वाटर हार्वेङ्क्षस्टग के नाम पर केवल राशि जमा कराई जा रही है। ये व्यवस्था अनिवार्यता के साथ लागू नहीं की गई कि भवन निर्माण के साथ हर हाल में वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम स्थापित करना है।
तालाबों के आसपास संतुलित है जलस्तर
शहर के ऐसे इलाके हैं जहां तालाब हैं। सालभर उनमें पानी रहता है। उनके आसपास भूजल स्तर संतुलित है। नगर के गढ़ा, पुरवा, मेडिकल, मदन महल से लेकर कई और इलाकों में 20-25 फीट तक ही जमीन की खुदाई में भरपूर पानी मिल जा रहा है। इसी तरह से नर्मदा तटों के आसपास के क्षेत्र में भी भू जल स्तर संतुलित है।
विनोद दुबे, भूजल विद