scriptमप्र के इस शहर में 300 फीट नीचे चला गया जलस्तर, मच सकता है हाहाकार | Water level goes down by 300 feet in this city of Madhya Pradesh | Patrika News
जबलपुर

मप्र के इस शहर में 300 फीट नीचे चला गया जलस्तर, मच सकता है हाहाकार

साल-दर-साल बिगड़ रहे हालात, फिर भी वाटर हार्वेस्टिंग की ओर नहीं दिया जा रहा ध्यान

जबलपुरMay 08, 2024 / 01:29 pm

Lalit kostha

Water level goes down

Water level goes down

जबलपुर. मई महीने में ही शहर के कई इलाकों में 300 फीट की गहराई पर भी नलकूप सूख रहे हैं। ऐसे में टैंकरों पर इन इलाकों की निर्भरता बढ़ती जा रही है। गहरे नलकूप हाईडेंट से भूगर्भीय जल का दोहन किया जा रहा है। इससे हालात ङ्क्षचताजनक बनते जा रहे हैं। जबलपुर नर्मदा की गोद में बसा है। बरगी डैम की नहर का भी बड़ा नेटवर्क है। इसके बावजूद नगर निगम का जल विभाग भूगर्भीय जल का अंधाधुंध दोहन कर रहा है। अभी गर्मी के डेढ़ महीने बचे हैं। ऐसे में कई इलाकों को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
साल-दर-साल बिगड़ रहे हालात, फिर भी वाटर हार्वेस्टिंग की ओर नहीं दिया जा रहा ध्यान

पानी बचाने की किसी को फिक्र नहीं
शहर में जल रसातल में समा रहा है। भूजल विदों के अनुसार लगातार भूजल स्तर गिरना भविष्य के बड़े जलसंकट का संकेत है। इसके बावजूद नगर निगम वाटर हार्वेङ्क्षस्टग की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। बारिश का सीजन शुरू होने को डेढ़ महीने का समय है। लेकिन, इस बार भी अभी तक वाटर हार्वेङ्क्षस्टग को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। यहां तक की भवन नक्शा स्वीकृति के दौरान भी लोगों से वाटर हार्वेङ्क्षस्टग के नाम पर केवल राशि जमा कराई जा रही है। ये व्यवस्था अनिवार्यता के साथ लागू नहीं की गई कि भवन निर्माण के साथ हर हाल में वाटर हार्वेङ्क्षस्टग सिस्टम स्थापित करना है।
Water level goes down

तालाबों के आसपास संतुलित है जलस्तर
शहर के ऐसे इलाके हैं जहां तालाब हैं। सालभर उनमें पानी रहता है। उनके आसपास भूजल स्तर संतुलित है। नगर के गढ़ा, पुरवा, मेडिकल, मदन महल से लेकर कई और इलाकों में 20-25 फीट तक ही जमीन की खुदाई में भरपूर पानी मिल जा रहा है। इसी तरह से नर्मदा तटों के आसपास के क्षेत्र में भी भू जल स्तर संतुलित है।
जलराशि से समृद्ध रहे शहर के कई इलाकों में जलस्रोतों का सूखना, भूजल स्तर का गिरना ङ्क्षचताजनक है। वर्षा जल संवर्धन के लिए जमीनी स्तर पर ठोस काम किया जाना चाहिए, अन्यथा भविष्य में शहरवासियों को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है।
विनोद दुबे, भूजल विद

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