उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका और दक्षिणी उत्तरी अमरीका से नाता शोधकर्ताओं का कहना है कि इसी तरह के जीवाश्म उत्तर पश्चिमी अफ्रीका के मोरक्को, नाइजर, नाइजीरिया, टोगो, यूरोप, इंग्लेंड, फ्रांस, बेल्जियम और दक्षिणी उत्तरी अमरीका में पहले मिल चुके हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत के इन क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिमी हिस्से के बीच मुक्त फ्यूनल इंटरचेंज होंगे। दिल्ली के वैज्ञानिकों का यह शोध जियोबॉयोस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
जैसलमेर में भी मिल चुके हैं जीवाश्म गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में समुद्र होने के प्रमाण मिले हैं। इससे पहले भी वर्ष 2018 में जैसलमेर के सुल्ताना गांव और बांधा गांव में वैज्ञानिकों ने बड़ी संख्या में करीब 4.7 करोड़ साल पुराने जीवाश्म खोजे थे। इनमें आदिकालीन व्हेल और शार्क के दांत, मगरमच्छ के दांत और कछुए की हड्डियोंं के जीवाश्म मिले थे, जो इस बात का प्रमाण हैं कि कभी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में समुद्र होगा, जो बाद में जलवायु परिवर्तन के कारण रेगिस्तान में परिवर्तित हो गया।