वसूली के लिए दो श्रेणियां बनाई नगर निगम को हाउस टैक्स और यूडी टैक्स के बकाया करीब 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली करनी है। इनमें सरकारी दफ्तरों का बकाया निगम के लिए सबसे बड़ी परेशानी है। सरकार से इस संबंध में निगम को कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं, जिसकी वजह से निगम इन सरकारी बकायादारों पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। हालांकि जो प्राइवेट बकायादार हैं उन पर शिकंजा कसने के लिए पिछले दिनों निगम ने नोटिस जारी किए है। इसमें दो अलग-अलग श्रेणियां निर्धारित की है। एक वो जिनके एक लाख रुपए से ज्यादा बकाया है, जबकि दूसरी कैटेगिरी 5 लाख रुपए से ज्यादा वालों की है।
बड़े बकायादारों की संख्या डेढ़ हजार से ज्यादा बड़े बकायादारों की सूची पर नजर डाले तो पूरे शहर में 1500 से ज्यादा बड़े बकायादार है। ये सभी एक लाख रुपए से ज्यादा के बकायादार है। निगम ने पिछले दिनों एक लाख से ज्यादा राशि के 1390 और 5 लाख से ज्यादा राशि के 160 से अधिक बकायदारों को नोटिस दिए है। अब तीन महीने से ज्यादा का समय निगम के पास इस वित्तीय वर्ष के तीन महीने से ज्यादा का वक्त पड़ा है। वैसे ही हर साल आखिरी महीनों में ही बकाया वसूली की जाती है। सरकार ने यूडी टैक्स के जुर्मान पर 50 प्रतिशत की छूट दे रखी है, जिसकी समयावधि 31 मार्च है, ऐसे में निगम प्रयास करेगा तो अपना राजस्व बढ़ा सकता है। अभी तक के रिकॉर्ड पर नजर डाले तो नगर निगम को इस वित्तीय वर्ष में 180 करोड़ रुपए का यूडी टैक्स और 50 करोड़ रुपए गृहकर के पेटे वसूली का लक्ष्य मिला है। इसके विपरित अब तक करीब 22 करोड़ रुपए की ही वसूली हो पाई है, जो 10 फीसदी भी पूरा नहीं है।