
Krishna Janmashtami Festival : जन्माष्टमी का पर्व सोमवार को राजधानी में भक्ति भाव और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। वर्षों बाद ऐसा मौका होगा कि जब स्मार्त और वैष्णव मत के धर्मावलंबी एक ही दिन (26 अगस्त) कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। इस बार जन्माष्टमी कई मायनों में खास होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण के जन्म के समय बने कई योग भी जन्माष्टमी पर रहेंगे। गोविंददेव जी, अक्षयपात्र, इस्कॉन, राधादामोदर जी, गोपीनाथ जी सहित अन्य प्रमुख मंदिरों में विशेष सजावट व बैरिकेडिंग के साथ ही तैयारियां अंतिम दौर में हैं। मंदिरों में सोमवार मध्यरात्रि जन्म के बाद श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाएगा। जन्मोत्सव की आरती के बाद भक्तों को पंजीरी व माखन-मिश्री का प्रसाद वितरित किया जाएगा। दिनभर मंदिरों में मेले सा माहौल रहेगा। वहीं, 27 अगस्त को नंदोत्सव के तहत शोभायात्रा निकाली जाएगी।
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा ने बताया कि श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार द्वापर युग में जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दौरान जो शुभ योग थे, लगभग वही योग इस बार भी बन रहे हैं। भगवान कृष्ण के जन्म के समय के छह तत्व हैं। भाद्र कृष्ण पक्ष, रात 12 बजे, अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना है। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि अष्टमी तिथि को हुआ था। इस बार यह तिथि एक दिन (सोमवार सुबह 3:40 बजे से देर रात 2:20 बजे तक) ही रहेगी। ऐसे में स्मार्त और वैष्णव एक ही दिन पर्व मनाएंगे।
Updated on:
25 Oct 2024 10:48 am
Published on:
22 Aug 2024 12:06 pm
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