गहलोत खेमा नई रणनीति की ओर— पूर्व पीसीसी चीफ नारायण सिंह ने सत्ता में कार्यकर्ताओं की भागीदारी की बात उठाई है और इसलिए गहलोत खेमे के नेता नारायण सिंह के बयान के आते ही सक्रिय हो गए और डेमेज कन्ट्रोल की कोशिशें शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार गहलोत ने भी इस मामले को लेकर अपने विश्वस्त नेताओं से चर्चा की है और नारायण सिंह को अपने खेमे में लाने की कोशिश शुरु कर दी है। नारायण सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह दांतारामगढ़ से कांग्रेस विधायक हैं और वे सचिन पायलट खेमे में है और इसीलिए सिंह के इस बयान को भी नई राजनीतिक लड़ाई के रूप में देखा जा रहा हैं।
डोटासरा राजनीतिक शिष्य रहे हैं नारायण सिंह के — पूर्व पीसीसी चीफ नारायणसिंह शेखावाटी की राजनीति में बड़े चेहरा माने जाते है और वे कई बार विधायक रहे है। यहीं नहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा खुद नारायणसिंह के शिष्य रहे है। 2008 में पहला टिकट दिलाने में भी नारायण सिंह की भूमिका थी और उन्होंने ही डोटासरा को राजनीतिक शुरुआत कराई थी। बाद में डोटासरा ने गहलोत खेमे का हाथ थाम लिया तो नारायण सिंह के बेटे वीरेन्द्र सिंह भी पायलट गुट शामिल हो गए। इससे पहले से सीकर से दीपेंद्र सिंह शेखावत पायलट खेमे में शामिल हैं। इससे अब डोटासरा को घेरा जा सकता है।
पुरानी लड़ाई फिर सुलह— कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नटवर सिंह ने 2003 में नारायण सिंह को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनवाया था उस दौरान पूरे कार्यकाल में नारायण सिंह ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। इसके बाद वर्ष 2008 में कांग्रेस की सरकार बनी। तब नारायण सिंह विधानसभा का चुनाव हार गए थे। लेकिन दोनों के बीच सुलह हुई तो सीएम अशोक गहलोत ने नारायण सिंह को राज्य किसान आयोग का अध्यक्ष बनाया था। इसके बाद 2013 में नारायण सिंह फिर दांतारामगढ़ से चुनाव जीते और 2018 में खुद की जगह बेटे वीरेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा। वीरेंद्र सिंह दांतारामगढ़ से विधायक हैं।
आलाकमान को नसीहत— कांग्रेस नेता नारायण सिंह ने कल एक लिखित बयान जारी किया था। इसमें कहा था कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने खूब मेहनत करते हुए अपना पसीना बहाया है तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि प्रदेश स्तर और जिला स्तर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी दी जाए, जिससे उनका मनोबल बढ़े। नारायण सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसा किया जाना कांग्रेस नेतृत्व की नैतिक जिम्मेदारी है। कांग्रेस आलाकमान को पुराने और निष्ठावान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जिन्होंने विपरीत हालातों में भी पार्टी का झंडा बुलंद रखा उनकी सुनवाई करनी चाहिए। हालांकि नारायणसिंह ने सचिन पायलट को लेकर सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा था लेकिन अपने इस बयान से उन्होंने पायलट खेमे की आवाज को बुलंद कर दिया।