केंद्र और राज्य सरकार ने आमजन की सुविधा में कई मोबाइल एप्लीकेशन ( mobile application ) शुरू कर दी है। सरकार के निर्देश पर कोरोना टाइम दुकानदार राशन भी होम डिलीवरी कर रहे है। आगे हम भी इसे अपनाना चाहिए। हाल ही राजकॉप सिटीजन के अलावा ई—बाजार कोविड—19 एप ( COVID-19 ) भी सरकार ने राहत देने के लिए शुरू की। वहीं, लोगों में खर्च कम करने की आदत बचत की ओर बढ़ेगी ।
वायरस ऐसा नहीं कि दोबारा नहीं आ सकता। इसमें आई एंड यू भी नहीं होता। कोशिश ना करें कि किसी जानकार की मदद से परमिशन लेकर सूनी सड़के देखने जाए। आपकी छोटी सी गलती जयपुर को बर्बाद कर सकती है। सोशल डिस्टिंसिंग दिन या महीनों की नहीं बल्कि हमेशा अपनानी चाहिए। इसमें टेक्नोलॉजी का बड़ा रोल निभा रही है। डिस्टिंसिंग की पूर्ण पालना करें। सरकार को कड़े नियमों के साथ सभी सेक्टर्स के लिए टाइम सेटअप करना होगा। जैसे दुकान, अस्पताल, कार्यालय इस समय तक खुलेंगे। यहीं सेफ लाइफ का रास्ता है।— अजय डाटा, सीईओ, डाटा इंजीनियस ग्लोबल
लॉकडाउन ( lockdown ) से जरूर आर्थिक मजबूती टूटी है, लेकिन हमारी लिविंग लाइफस्टाइल में बदलाव आ रहा है। लोगों में अनावश्यक खर्चों के बजाय कटौती करने की आदत आ गई है। वहीं, कंपनियों में ऑडियो—वीडियो से ट्रेनिंग होने से सोशल डिस्टिंसिंग के साथ फूड, होटल में स्टे, ट्रैवल जैसे खर्चों से निजात मिलेगी। म्यूफैक्चयेरिंग और प्रोडेक्शन में जरुर फिजिकल होना जरूरी है, लेकिन आईटी में नहीं। इस समय कई घर से दूर रहकर भी अपनों से दूर नहीं है। एक फोन पर 5 से 6 लोग आसानी से जुड जाते है। बडी कंपनियां ऐसा ही कर रही है।— तरूण टांक, आईटी एक्सपर्ट
संबंध रहेंगे मजबूत, सरोकार भी जारी
व्यापार जगत और आईटी सेक्टर ही नहीं आमजन को भी इंटरनेट फ्रैंडली बनना पडेगा। तभी सोशल डिस्टिंसिंग मेंटेन होगी। अभी दूर है, लेकिन इंटरनेट से भी संबंध मजबूत है। लोगों के बीच सामाजिक सरोकार कम नहीं हो रहे। टेलीकॉम कंपनियां की ओर से सस्ती डेटा रेट भी दिया जा रहा है। हमें फिजिकल दूरियों को स्वीकारना होगा। सुरक्षित भविष्य के लिए यही बडी समझदारी होगी।— अनिल गोठवाल, महासचिव, अंबेडकर मेमोरियल सोसायटी