पुलिस ने बताया कि हादसे के समय बैनाड़ा मोड़ पर शालीमार केमिकल फैक्ट्री में आठ मजदूर काम कर रहे थे। शाम करीब 6 बजे बॉयलर फटने के बाद जोरदार धमाके के साथ लपटें उठने लगीं और मजदूर जिंदा जल गए। सूचना पर पहुंची चार दमकलों ने आग पर काबू पाया।
बॉयला फटने से हुए तेज धमाके की आवाज काफी दूर तक सुनाई दी। इससे अफतरातफरी मच गई। बाद में सैकड़ों लोग मौके पर एकत्र हो गए और मुआवजा व मामले की जांच की मांग करते हुए विरोध जताने लगे। मौके पर पहुंची एम्बुलेंस को भी अंदर नहीं घुसने दिया। बाद में घायलों को सवाई मानसिंह अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी भी हालत गंभीर बनी हुई है।
जो मजदूर जिंदा जल गए थे उनकी शिनाख्त करने में पुलिस व परिजन को मशक्कत हो रही थी। मजदूरों के शरीर पर कपड़ों का नामोनिशान नहीं था, चेहरा जल जाने से पहचान में नहीं आ रहे थे। बाद में मृतकों की शिनाख्त हुई।
हादसा इतना हृदय विदारक था कि फैक्ट्री में चारों तरफ जले हुए शव ही दिखाई दे रहे थे। हादसे में बैनाड़ा निवासी हीरालाल गुर्जर (30), गोकुल वाल्मीकि (35), सुपरवाइजर कृष्ण गुर्जर, बिराजपुरा बस्सी निवासी बाबूलाल मीना (35) एवं मथुरा निवासी भगवान दास जिंदा जल गए। वहीं, अस्पताल में भर्ती बैनाड़ा निवासी मनोहरलाल गुर्जर की भी देर रात मौत हो गई।
फैक्ट्री में जिंदा जले मजदूरों के शवों को ग्रामीण विरोध के कारण उठाने नहीं दे रहे थे। ग्रामीणों की मांग थी कि पहले फैक्ट्री मालिक आए, तभी वे शवों को उठाने देंगे। इधर, फैक्ट्री के बाहर बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए। लोगों को काबू करने के लिए पुलिस जाप्ता बुलाया गया।