अपनी अपेक्षा बच्चे पर न थोपें।
बच्चे को पर्सनल स्पेस दें।
बाहर की दुनिया से बच्चे को घुलने-मिलने दें।
बच्चे पर हर वक्त नजर रखना बंद करें।
बच्चों को खुद फैसले लेने दें, अगर फैसला गलत हुआ भी तो उसे कुछ न कुछ तर्जुबा होगा।
बच्चे के सपोर्ट में खड़े रहें लेकिन इतना भी नहीं कि वह खुद अपने लिए स्टैंड लेना न भूल जाए।
बच्चे की तारीफ करें, लेकिन बेवजह की तारीफ करने से भी बचें।
बच्चे को परिस्थितियों से लडऩा सिखाएं, हर जगह उन्हें प्रोटेक्ट न करें।
यदि आप ओवर प्रोटेक्टिव होंगे तो बच्चा कुछ नया सीख नहीं सकेगा। हर जगह उसे आपकी जरूरत होगी।
निर्णय लेने की क्षमता विकसित नहीं होगी।
कई बार बच्चे हीन भावना से भर जाते हैं। सेल्फ रेस्पेक्ट कम होती है। उन्हें लगता है कि बिना पेरेंट्स वह कुछ नहीं कर पाएंगे।
बच्चे में आत्मविश्वास की कमी आएगी।
बच्चे तनाव में भी जा सकते हैं।