'ड्रैगन' की चिंता बढ़ी : एनबीसी ने जारी किए आंकड़े, 2022 में 8.5 लाख घट गई आबादी। 2022 में प्रति 1000 लोगों में 6.77 रही जनसंख्या वृद्धि दर।
बीजिंग. चीन की आबादी में छह दशक में पहली बार भारी गिरावट दर्ज की गई है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीसी) ने जो आंकड़े जारी किए हैं, उनके मुताबिक 2021 के मुकाबले 2022 के आखिर में आबादी 8.5 लाख कम रही। चीन में जहां गिरावट आ रही है, वहीं भारत में आबादी बढ़ रही है। चीन को पीछे छोड़कर भारत आबादी के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश बनने की ओर बढ़ रहा है।
एनबीसी के आंकड़ों के मुताबिक, चीन की आबादी 2022 के आखिर में करीब 141 करोड़ दर्ज की गई। इनमें करीब 72.20 करोड़ पुरुष और 68.96 करोड़ महिलाएं हैं। पिछले साल 95.6 लाख जन्म, जबकि 1.04 करोड़ मौतें दर्ज की गईं। चीन की आबादी बढ़ने की दर 2022 में प्रति 1000 लोगों में 6.77 रही, जो 2021 में 7.52 थी। इससे पहले चीन की आबादी में भारी गिरावट 1960 के दशक की शुरुआत में हुई थी। चीन में आबादी का संकट काफी समय से गहरा रहा है। उसने 2016 में 'एक बच्चे की नीति' खत्म कर जोड़ों को तीन बच्चे पैदा करने की इजाजत दे दी थी। संकट से बचने के लिए परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसमें युवा परिवारों को सब्सिडी, कर में छूट, बेहतर स्वास्थ्य इंश्योरेंस, शिक्षा, घर और रोजगार में प्राथमिकता देना शामिल है। इसके बावजूद जन्म दर तेजी से घट रही है।
छिन सकता है श्रम बाजार का रुतबा
चीन आबादी और सस्ती मजदूरी के बल पर कई साल से दुनिया का सबसे बड़ा श्रम बाजार बना हुआ है। घटती आबादी से उसके इस बाजार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। काम करने वाली चीनी आबादी में बुजुर्ग बढ़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में युवा आबादी काफी ज्यादा है। भविष्य में भारत दुनिया के लिए सस्ता श्रम बाजार बन सकता है। भारत की आबादी करीब 140 करोड़ है।
छोटे परिवार के आदी हो गए युवा दंपती
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया के शोधकर्ता शिउजियन पेंग ने बताया कि दशकों पुरानी एक बच्चे की नीति के कारण चीनी युवा दंपती छोटे परिवार के आदी हो गए हैं। उन्होंने कहा, चीनी सरकार को जन्म दर को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी नीतियां ढूंढनी होंगी, अन्यथा आने वाले समय में उसकी आबादी में और गिरावट दर्ज होगी।