Government Hospitals : रोजाना 10 से 20 मरीज इस परेशानी को भुगत रहे हैं। बातचीत में सामने आया कि यहां एमआरआइ और सीटी स्कैन जांच की सुविधा तो उपलब्ध है लेकिन शाम पांच से छह बजे के बाद जांच नहीं होती, चाहे कितना भी गंभीर मरीज आ जाए। खास बात यह है कि यहां सबसे ज्यादा इमरजेंसी केस रात के समय आते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि जब न्यू ट्रोमा सेंटर ही चालू कर दिया तो जांचें भी 24 घंटे होनी चाहिए ताकि रिपोर्ट देखकर उसे रैफर तो किया जा सके।
-यहां सोनोग्राफी जांचों का भी यही हाल है। ओपीडी समय में गंभीर रोगी, प्रसूता या गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांचें तो उसी दिन हो रही है लेकिन पेट दर्द, पथरी के दर्द समेत अन्य मरीजों को इस जांच के लिए दस से पंद्रह दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। उन्हें पर्ची पर तारीख लिखकर ही रवाना कर दिया जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज आसपास निजी लैब में महंगी दरों पर जांचें करवाने को मजबूर हैं।
-जयपुरिया में ओपीडी का समय दोपहर तीन बजे पूरा होता है। अगर डॉक्टर ने किसी मरीज को दोपहर बारह बजे बाद जांचें लिख दीं तो वे अगले दिन ही होंगी। क्योंकि यहां दोपहर बारह बजे बाद जांच के लिए बिलिंग काउंटर बंद हो जाता है। दोपहर एक बजे बाद सैंपलिंग भी बंद हो जाती है। इस बीच अगर सर्वर डाउन हो जाए तो मुसीबत और बढ़ जाती है।
– पूछताछ में पता चला कि राजपत्रित अवकाश या रविवार के अवकाश के दिन अस्पताल में ओपीडी महज दो घंटे ही संचालित होती है। इस दौरान जिन मरीजों को सीटी स्कैन या एमआरआइ जांचें लिखी जाती हैं, उन्हें अगले दिन ही जांच के लिए बुलाया जाता है। उस दिन केवल इमरजेंसी व भर्ती मरीजों की ही जांचें होती हैं।