इच्छा विचारों के बदलती है
अ गर आप स्वयं के नजरिए पर ध्यान देते हैं तो आप न केवल तनाव से बाहर निकल सकते हैं, बल्कि दूसरों के विचारों को भी बदल सकेंगे। दरअसल, जब तक आप स्वयं के नजरिए पर ध्यान नहीं देंगे तो आप पर हमेशा अन्य लोगों के विचार ही हावी रहेंगे। इस तरह आप यह भी जज नहीं कर पाएंगे कि आपके लिए क्या सही है और क्या गलत। ऐसे लोगों के कॅरियर में सफलता मिलने की राह भी मुश्किल हो जाती है। उन्हें पता ही नहीं होता कि उनमें क्या खासियत है और किस तरह से अपनी क्षमताओं का भरपूर उपयोग किया जा सकता है। इसलिए कॅरियर संबंधी निर्णय लेना हो या फिर जीवन के किसी निष्कर्ष पर पहुंचना है तो अपने विचारों का गहनता से अध्ययन करें। साथ ही अपनी गलतियों को स्वीकारना सीखें, ताकि आप स्वयं के अदंर निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर सके और कुछ नया कर पाएं।
हर चीज के दो पहलू हैं
डिसिजन मेकिंग स्किल को विकसित करना चाहते हैं तो हर विचार के दोनों पहलुओं के बारे में सोचना होगा। माना कोई व्यक्ति आपको सलाह दे रहा है और आपको उस व्यक्ति की बात सही लग रही है तो इसका मतलब यह नहीं होना चाहिए कि आप उसके विचारों को स्वीकार कर लें। आपको निर्णय के दूसरे पहलू पर विचार करना चाहिए। इस तरह आपके सोचने-समझने की क्षमता भी बढ़ेगी और आप सही निर्णय पर पहुंचेंगे।
निर्णय लेने में बाधा दूर करें
निर्णय लेने की जटिलता तब बढ़ जाती है, जब आपके पास पर्याप्त सूचनाएं न हो। ऐसे में निर्णय लेने का काम एक कठिन टास्क होगा। इसके अलावा यदि आपके विचारों में स्थिरता नहीं है तो भी किसी तरह के निर्णय पर पहुंचना मुश्किल होगा। वर्किंग के दौरान किसी समस्या पर यदि आप नकारात्मक विचारों से घिर जाते हैं तो ऐसे में निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होगी। इसलिए उन फैक्टर्स पर ध्यान दें जो आपके निर्णय लेने की क्षमता को कमजोर बनाते हैं।
विकल्प के बारे में विचार करें
ज ब आप किसी निर्णय पर पहुंचते हैं, तो आपके दो तरह के विकल्प होने चाहिए। अगर एक विकल्प सफल न हो सके तो आप दूसरे विकल्प पर विचार कर सके। ऐसा तभी होगा जब आप अपने दिमाग को खुला रखेंगे और हर विचार पर गौर करेंगे। इसके साथ ही स्वयं पर भरोसा करना भी सीखें। अमरीकी अध्ययन के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता को तभी विकसित किया जा सकता है, जब व्यक्ति को स्वयं पर भरोसा हो। आप कॉन्फिडेंट रहेंगे तो भविष्य के लिए बड़े निर्णय ले सकते हैं।