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बड़ा झटका : अब राजस्थान में मकान, दुकान और दफ्तर लेना महंगा, जमीनों की रजिस्ट्री हुई इतनी महंगी

शहरी क्षेत्रों में जमीन की रजिस्ट्री वर्गगज या वर्गमीटर के बजाए सभी जगह वर्गमीटर में ही होगी। वहीं ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि की रजिस्ट्री बीघा के बजाए हैक्टेयर में होगी।

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Rajasthan News: राजस्थान में मकान, दुकान और दफ्तर लेना महंगा हो गया है। राज्य सरकार ने करीब 9 माह बाद फिर डीएलसी दरों में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। हालांकि डीएलसी दरों में बढ़ोतरी शहरी क्षेत्रों में 5 से 20 फीसदी तक तो ग्रामीण क्षेत्रों में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी होना बताया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र जो शहरों से सटे हैं और विकास की तेजी से हुआ है, वहां दरें ज्यादा बढ़ाई गई हैं। इससे पहले अप्रेल 2024 में सरकार ने 10 फीसदी दरों में बढ़ोतरी की थी।

बताया जा रहा है कि राज्य सरकार के निर्देश पर जून में सभी जिलों की जिला स्तरीय कमेटी (डीएलसी) से प्रस्ताव मंगाए गए थे। इसके बाद प्रदेशभर के सभी जिलों में सब रजिस्ट्रार से डीएलसी दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव तैयार करवाए गए। इन प्रस्तावों पर जिलों में बैठकें हुई। जयपुर में भी जिला स्तरीय कमेटी की बैठक 28 जून को हुई थी। इन बैठकों में जिलों के विधायक भी शामिल हुए थे। बैठकों में तय हुई दरों को पांच माह बाद वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने बढ़ी दरों को राज्यभर में लागू कर दिया।

वर्गमीटर में ही होगी रजिस्ट्री

शहरी क्षेत्रों में जमीन की रजिस्ट्री वर्गगज या वर्गमीटर के बजाए सभी जगह वर्गमीटर में ही होगी। वहीं ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि की रजिस्ट्री बीघा के बजाए हैक्टेयर में होगी। बढ़ी दरें सोमवार से ही लागू करने को लेकर विभाग की ओर से शनिवार और रविवार को अवकाश के दिन कम्प्यूटर सिस्टम में बड़ी दरों को अपडेट कराया गया था। जिन ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से विकास के साथ शहरीकरण बढ़ा है, उन क्षेत्रों में डीएलसी दरें 50 फीसदी तक बढ़ाई गई हैं। इसके अलावा सिंचित कृषि भूमि की डीएलसी दरों में भी 50 फीसदी तक इजाफा किया है।

रिंग रोड, जगतपुरा के क्षेत्र में इजाफा

जयपुर में दरों में 20% तक बढ़ोतरी हुई है। यह बढ़ोतरी 5 से 20 फीसदी तक बताई जा रही है। सीकर रोड, रिंग रोड, जगतपुरा के एरिया में डीएलसी दरों में ज्यादा इजाफा किया गया है। शहरी क्षेत्र से ज्यादा ग्रामीण एरिया में डीएलसी दर बढ़ाई गई हैं। कई राजस्व ग्राम और पंचायतें ऐसी बताई जा रही हैं, जहां दरें काफी कम थीं। इससे राजस्व में कमी के साथ ही जमीन अवाप्ति में भी किसानों को मुआवजा कम मिल था।

जिला स्तरीय समिति तय करती है दरें

सरकार जमीन की बाजार कीमत निर्धारित करती है। इसे जिला कलक्टर की अध्यक्षता में बनी जिला स्तरीय समिति निर्धारित करती है। दरें तय करने के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में विधायक भी शामिल होते हैं। कमेटी में तय होने वाली दरों को ही डीएलसी दर कहते हैं। इसी दर पर अचल संपत्तियों की रजिस्ट्री होती है। सरकार जमीनों का आवंटन भी करती है। हालांकि शहरी इलाकों में नगरीय निकाय (नगर पालिकाएं, हाउसिंग बोर्ड, यूआईटी, विकास प्राधिकरण) अपने एरिया में आरक्षित दर पर जमीनों का आवंटन करते हैं। आरक्षित दरों में विकास शुल्क भी शामिल होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में हाइवे से 300 मीटर की बाध्यता हटाई

नए प्रावधानों में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा। अब तक हाइवे से 300 मीटर तक कोई भी संरचना, टीनशेड आदि की डीएलसी हाइवे के आधार पर ली जाती थी। यानि इस दूरी तक वाणिज्यिक राशि ली जाती थी अब केवल हाइवे से सटे निर्माणों पर नई डीएलसी लागू होगी। 300 मीटर अंदर तक कृषि भूमि पर वाणिज्यिक दरें लागू नहीं होंगी चाहे वहां कमरा या टीन शेड आदि संरचना निर्मित हो।

इसी साल अप्रेल में बढ़ाई थी

भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद अप्रेल में डीएलसी दरों में वृद्धि की गई थी। डीएलसी दरों में 10 फीसदी का इजाफा किया था। इस तरह दूसरा मौका है जब दरें बढ़ाई हैं। सरकार ने सभी जिला कलक्टर को 30 जून तक डीएलसी दरों की बढ़ोतरी के प्रस्ताव तैयार करके भिजवाने के लिए कहा था।

ऐसे कटेगी जनता की जेब

जिन स्थानों की डीएलसी दरों में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है वहां 50 लाख रुपए कीमत के एक मकान या भूखंड की रजिस्ट्री करवाने पर पुरुषों को 66 हजार रुपए ज्यादा, जबकि महिला के नाम पर रजिस्ट्री करवाने पर 56 हजार 250 रुपए ज्यादा देने होंगे।

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