
पुनीत शर्मा। ग्राउंड वाटर एसेसमेंट रिपोर्ट 2023 में राजस्थान के भूजल की चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार 1984 से लेकर अब तक करीब 40 साल में प्रदेश में भूजल की स्थिति उलट हो गई है। जहां 1984 में 203 ब्लॉक भूजल के लिहाज से सुरक्षित थे वहीं 2023 में इनकी संख्या महज 38 रह गई है।
अब 216 ब्लॉक अतिदोहित श्रेणी में आ गए है। यानी यहां भूजल का दोहन किया ही नहीं जा सकता। ऐसे में लगभग पूरा राजस्थान ही डार्क जोन में है। प्रदेश में भूजल का दोहन 148 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वहीं जयपुर में तो 341 प्रतिशत तक भूजल दोहन हो रहा है। अब प्रदेश में भूजल विभाग 15 मई से 15 जून तक प्री- मानसून भूजल सर्वे करा रहा है।
ऐसे समझें हालात … बांसवाड़ा, डूंगरपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ ही सेफः 39 से 70% तक दोहन की दर, शेष जिलों में 102 से 341%
| 1984 | 2023 | |
| सुरक्षित ब्लॉक | 203 | 38 |
| अर्द्ध संवेदनशील | 10 | 22 |
| संवेदनशील | 11 | 23 |
| अतिदोहित | 12 | 216 |
रिपोर्ट में दावा है कि 2022 के मुकाबले करौली के नादौती, जालोर के चितलवाना, उदयपुर के सायरा, सिरोही के पिंडवाड़ा, सिरोही, टोंक के टोडारायसिंह, जोधपुर के लूनी, सीकर के फतेहपुर और नागौर के मकराना में भूजल स्तर में सुधार हुआ है।
संभाग स्तरीय शहरों के हालात भी बेहद खराब हैं। बीकानेर शहर ही भूजल के हिसाब से सुरक्षित हैं। वहीं अजमेर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर शहर भी भूजल की अतिदोहित श्रेणी में हैं।
राजस्थान में भूजल की स्थिति बेहद चिंताजनक स्थिति में हैं। भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए 17 जिलों में अटल भूजल योजना चल रही है।
- कन्हैयालाल चौधरी, जलदाय एवं भूजल मंत्री
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Published on:
12 Jun 2024 09:26 am
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