विभाग का कहना दरअसल, विभाग ने महीने भर पहले स्कूलों को निर्देश दिए थे कि बोर्ड परीक्षा के अगले दिन से ही नया सत्र शुरू किया जाएं। छठीं, नौवीं व ग्यारहवीं कक्षा बोर्ड परीक्षा के अगले दिन से ही शुरू की जानी थी। ताकि नामांकन कम न हो। इतना ही नहीं विभाग ने स्कूलों के संस्था प्रधानों से यह जानकारी भी मांगी है कि तीनों कक्षाओं में 15 दिन में कितना कोर्स हुआ है। यह जानकारी ऑनलाइन फीड करें।
शिक्षकों की पीड़ा उधर, स्कूली शिक्षकों की पीड़ा है कि विभाग ने एक ही समय पर पांच अलग-अलग निर्देश दे रखे हैं। शिक्षक कौनसा काम करें और कौनसा नहीं। निर्वाचन आयोग ने चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी लगा रखी है। वहीं, स्कूलों में परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाएं जांच कर परिणाम बनाया जा रहा है, जो कि 8 मई को घोषित करना है। 1 मई से नया सत्र शुरू होना है, प्रवेशोत्सव के लिए घर-घर जाकर सर्वे व बच्चों को स्कूलों से जोडऩे का काम किया जा रहा है। स्कूलों में छठीं, नौवीं व ग्यारहवीं की कक्षा लगाने के निर्देश भी हैं। कुछ शिक्षकों का कहना है कि परिजन बोर्ड परीक्षा के परिणाम के अनुसार ही 11वीं में बच्चों को विषय दिलवाते हैं। उससे पहले उन्हें स्कूल ही नहीं भेजते।