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फिल्मी अंदाज में हुई ‘डिटेक्टिव 9-2-11Ó की एंट्री

सिर पर हेट, आंखों पर चश्मा और हाथ में सिगार कुछ एेसा ही था ‘डिटेक्टिव ९-२-११Ó का अंदाज। जी हां, सोमवार को जयरंगम थियेटर फेस्टिवल के तहत जवाहर कला केंद्र के मुक्ताकाशी मंच पर फिल्मी हीरो की तरह डिटेक्टिव यानी जासूस ने एेसी एंट्री ली कि दर्शक कुछ देर के लिए सकपका से गए। इस बीच म्यूजिक के शोर, सस्पेंस के सन्नाटे और रोमांस की झलक ने दर्शकों को डेढ़ घंटे के लिए कुर्सी से बांध दिया।

जयपुरDec 19, 2018 / 09:15 pm

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फिल्मी अंदाज में हुई ‘डिटेक्टिव 9-2-11Ó की एंट्री

– जयरंगम फेस्टिवल के मंच पर अतुल कुमार के नाटक को देखने के लिए उमड़े दर्शक- दिन के नाटकों में रहा दर्शकों को टोटा, जबकि शाम को हाउसफुल रहा शो
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सिर पर हेट, आंखों पर चश्मा और हाथ में सिगार कुछ एेसा ही था ‘डिटेक्टिव ९-२-११Ó का अंदाज। जी हां, सोमवार को जयरंगम थियेटर फेस्टिवल के तहत जवाहर कला केंद्र के मुक्ताकाशी मंच पर फिल्मी हीरो की तरह डिटेक्टिव यानी जासूस ने एेसी एंट्री ली कि दर्शक कुछ देर के लिए सकपका से गए। इस बीच म्यूजिक के शोर, सस्पेंस के सन्नाटे और रोमांस की झलक ने दर्शकों को डेढ़ घंटे के लिए कुर्सी से बांध दिया। फेस्टिवल के तीसरे दिन अतुल कुमार निर्देशित नाटक ‘डिटेक्टिव 9-2-11Ó का मंचन हुआ।
आद्यम कंपनी के कलाकारों की ओर से खेले गए नाटक में देश की सुरक्षा का संवाद बार-बार दोहराया गया। जिसमें एक विदेशी कलाकार ने अपनी भाव-भंगिमाओं और गति लिए अभिनय से दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर किया। हालांकि नाटक में मनोरंजन के मसालों को ज्यादा तरजीह दी गई। बावजूद लाइव जैज म्यूजिक ने नाटक में घटने वाली घटनाओं, परिस्थितियों के उतार चढ़ाव और मनोभावों को रोचक बनाकर छोड़ा। अतुल कुमार के नाटक में सिनेमाई जादू का प्रभाव युवा दर्शकों पर अपना प्रभाव छोड़ पाया। जबकि सुधि दर्शकों का कहना था कि अतुल ने तकनीकी पहलू के दम पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। नाटक के दैरान मुक्ताकाशी मंच पर दृश्य सज्जा और प्रकाश की परिकल्पना ने दर्शकों को आकर्षित किया। हाउसफुल शो के दौरान अतुल कुमार दर्शकों पर अपनी छाप छोडऩे में कुछ हद तक कामयाब भी हुए। शहर के कलाकारों को मिले कम दर्शकफेस्टिवल के तहत दो नाटक राजस्थान के रंगकर्मियों की ओर से खेले गए। शुरूआत में अंग्रेजी भाषा के एकल अभिनय पर आधारित नाटक प्ले ‘अ मोमेंट ऑॅफ साईलेंसÓ में दर्शकों की कमी रही। इस नाटक में उपनिवेश वाद और उसके बाद के प्रभाव, साम्राज्यवाद, आंतकवाद और उससे पनपे युद्ध, प्राकृतिक जातिवाद एवं सरंचनात्मक हमलों के साथ ही उसकी हिंसा की चर्चा को दर्शाया गया।
इसके बाद शाम 4 बजे केंद्र के रंगायन में बीकानेर के सुधेश व्यास के एवी कमल लिखित चर्चित नाटक ‘चार कोटÓ का मंचन हुआ। इसमें व्यवस्थाओं पर व्यंग्य किया गया। इस प्रस्तुति में व्यवस्था के प्रति आम आदमी के छिपे दर्द को हास्य के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। नाटक में चिकित्सा, पुलिस और राजनीति के क्षेत्र में व्याप्त खामियों को प्रतीक बनाकर सिस्टम में आई खामियों को दर्शाया गया। इसमें दर्शाया गया कि जिस तरह एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है, ठीक वैसे ही चंद गलत आदमियों की वजह से सभी को बदनाम होना पड़ता है। नाटक का उद्देश्य किसी की छवि खराब करना नहीं बल्कि उन चंद भ्रष्ट लोगों की भ्रष्टता को उजागर करना है जिसकी सजा पूरा समाज भुगत रहा है। आज इन नाटकों का होगा मंचन मंगलवार को तीन नाटकों का मंचन होगा। जिसमें दोपहर 12 बजे कृष्णायन में पद्मजा दामोदरन के निर्देशन में नाटक ‘दी अन एक्सपैक्टेड मैन काÓ मंचन किया जाएगा। शाम 4 बजे केंद्र के रंगायन में तमाशा आर्टिस्ट दिलीप भट्ट के निर्देशन में नाटक ‘कोमल गंधारÓ का मंचन होगा। शाम को 7 बजे केंद्र के मध्यवर्ती में अतुल सत्य कौशिक निर्देशित नाटक ‘बालीगंज-1990Ó का मंचन होगा।

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