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काला धुआँ छोड़ने के बाद भी परिवहन विभाग की नज़र में ‘फिट’ लो-फ्लोर

पड़ताल में सामने आई चौंकाने वाली हकीकत

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jaipur news

जयपुर .लो फ्लोर बसों से निकल रहा काला धुआं लोगों के फेफड़ों को गला रहा है, फिर भी ये बसें फिट का तमगा लेकर पूरे शहर में दौड़ रही हैं। काला धुआं छोडऩे के बावजूद यह लो फ्लोर बसें प्रादेशिक परिवहन कार्यालय की जांच में फिटनेस का प्रमाण पत्र लेकर आ जाती हैं। गड़बड़झाले की पड़ताल में चौकाने वाली हकीकत सामने आई। प्रादेशिक परिवहन कार्यालय में जांच के दौरान इन बसों का प्रदूषण स्तर मौके पर जांचने के प्रावधान ही नही है। सिर्फ कागज पर बस का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र देखकर ही इसे फिट घोषित किया जा रहा है।

पंप पर जांच आरटीओ में टोटा

सैंकड़ों पेट्रोल पंपों पर वाहनों की प्रदूषण जांच होती हो, लेकिन खुद आरटीओ के फिटनेस जांच केन्द्र में इस सुविधा का टोटा है। फिटनेस जांच के दौरान प्रदूषण जांचने के सवाल पर प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कल्पना अग्रवाल का कहना था कि महकमे के पास इसके लिए संसाधन नहीं हैं।

फिर छह माह धुआं ही धुआं

परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित किसी पेट्रोल पंप या जांच केन्द्र से एक बार डीजल वाहन का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र लिया तो यह अगले छह माह का वैध होता है। बस, इसी का फायदा इस खेल में उठाया जा रहा है। अधिकतर मामलें में सर्विसिंग के तत्काल बाद इन बसों की प्रदूषण जांच कराई जाती है। इंजन सर्विंसिंग के तुरंत बाद चूंकि प्रदूषण स्तर कम होता है, इसलिए ये बसें जैसे तैसे इस जांच में पास हो जाती हैं और फिर अगले छह माह तक बिना किसी जांच के शहर भर मेें घूमती हैं।

पीछे खड़े हैं तो धुआं तो पीना ही है

मालवीय नगर निवासी गजेंद्र तंवर ने कहा की लो फ्लोर बसों का धुआं दुपहिया वाहन चालकों को सबसे ज्यादा परेशान करता है। अगर औचक जांच कराई जाए तो इनमें से एक भी बस मानकों पर खरी नहीं उतरेगी।

वही मगन गोयल का कहना है की लो फ्लोर बसों का धुआं और बेकाबू रफ्तार दोनों ही आम राहगीर की मुसीबत हैं। आए दिन लोग इनकी चपेट में आकर घायल हो रहे हैं।