सोशल मीडिया पर वायरल फोटो के साथ कैप्शन लिखा है “इतिहास में पहली बार मक्का मदीना का शिवलिंग दिखाया गया। कोई भी चुके नहीं- हर हर महादेव लिखने से”। यह दावा कई बार सोशल मीडिया पर शेयर किया गया है।
राजस्थान पत्रिका की फैक्ट चैक टीम ने सोशल मीडिया पर इस वायरल दावे की जांच शुरू की। हमने इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि ये दरअसल रुक्न-ए-यमनी के नाम से जाना जाता है। रुक्न-ए-यमनी या यमन का कोना, असल में काबा की दीवार का वो कोना है, जो उसके दक्षिण-पश्चिमी छोर पर स्थित है। काबा की परिक्रमा करते समय इसका स्पर्श करना पवित्र माना जाता है। इसके बाद हमने रुक्न-ए-यमनी कीवड्र्स के साथ खोज की और पाया की कई यूट्यूब चैनल हैं, जहाँ वीडियोज में इसी जगह को दिखाया गया है। यह वीडियोज कई सालों के दौरान अपलोड किए गए हैं। कहीं भी इसके शिवलिंग होने जैसी बात नहीं लिखी है। आगे खोज करने पर हमें सी.आई.सी. सऊदी अरब नामक एक वेरीफाइड ट्वीटर हैंडल मिला। यह सेंटर ऑफ इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन का हैंडल है, जो सऊदी अरब के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मुख्य भूमिका निभाता है। इस हैंडल पर हमें एक मैप मिला, जिसमें इस कोने की अहमियत बताई गई है। वायरल तस्वीर में दिख रहा पत्थर शिवलिंग नहीं है, बल्कि इसे येमेनी कोना कहा जाता है। इस कोने के अलावा तीन और कोनों की अहमियत के बारे में भी इस मैप में बताया गया है।
राजस्थान पत्रिका की फैक्ट चैक टीम को जांच में पता चला कि मक्का मदीना में शिवलिंग के नाम से वायरल फोटो काबा का रुक्न ए यमनी है। यह इसका स्पर्श पवित्र माना जाता है। मक्का मदीना में शिवलिंग दिखने का दावा गलत है।