तिवाड़ी शुक्रवार को अपने श्याम नगर निवास पर प्रेसवार्ता में सरकार पर राजस्थान के इतिहास के साथ छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि इस सारे घटनाक्रम की जिम्मेदार सिर्फ राजस्थान सरकार है। तिवाड़ी ने कहा कि इस मामले को लेकर अलग-अलग मंत्री अलग-अलग स्टेटमेंट दे रहे हैं। गृहमंत्री कहते हैं कि हमने किसी पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। विजेन्द्र सिंह कहते हैं गुजरात में जो प्रतिबंध लगाया गया है वह स्वागत योग्य है। सरकार इस मामले में अपना रूख स्पष्ट करें।
दूसरी चोट लक्ष्मीबाई की कविता हटाकर की
तिवाड़ी ने कहा कि सरकार ने आरएएस की मुख्य परीक्षा में राजस्थानी भाषा के पाठ्यक्रम को पूरी तरह हटाकर प्रदेश के युवा बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात किया। बिजली विभाग में एइएन और जेइएन की भर्ती परीक्षा में टेक्निकल सिलेबस हटा दिया गया, इस तरह 2 साल से तैयारी कर रहे अभ्यर्थी व युवाओं को धोखा दिया गया। साथ ही कुछ बाहरी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरे राज्यों के शहरों में परीक्षा केंद्र बना दिये। इसके अलावा बच्चों के कोर्स से कबीर, निराला, बिस्मिल की सरफरोशी की तमन्ना और खूब लड़ी मर्दानी जैसी महान रचनाएं भी हटा दी गई। सरकार राजस्थानी स्वाभिमान का यह अपमान करना बंद करे।
सरकार का गुर्जरों के साथ धोखा प्रमाणित तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान सरकार ऐसी पहली सरकार बन गई है जो अपने लाए गए पिछड़ा वर्ग आरक्षण विधेयक पर अधिसूचना तक जारी नहीं कर पाई, उससे पहले ही उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी। इस पूरे मामले पर मैंने विधानसभा में पहले ही सचेत कर दिया था, लेकिन इस सरकार की समझ समाप्त हो गई। इस मामले की किसी न किसी को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। तिवाड़ी ने कहा कि 2008 में विधि मंत्री के नाते ईबीसी का बिल विधानसभा में पेश किया। जिसके बाद बारी बारी से आई कांग्रेस और भाजपा इस बिल के साथ अन्याय कर रही है। दोनों सरकारें इसके लिए समानरूप से दोषी हैं, क्योंकि कांग्रेस और वर्तमान भाजपा सरकार दोनों के समय केंद्र और राज्य सरकारें एक ही पार्टी की हैं। तब भी संविधान में संशोधन करवाकर नौवीं सूची में नहीं डलवा सकी। उन्होंने कहा कि बिना संविधान संशोधन के ईबीसी और ओबीसी कानून बेकार हैं।