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जयपुर

गोपाष्टमी चार नवंबर को, गाय और गोविंद की पूजा से आएगी सुख-समृद्धि, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Gopashtami 2019: गोपाष्टमी का पर्व चार नवंबर को मनाया जाएगा, इस मौके पर शहरभर की गोशालाओं में गोवंश का पूजन किया जाएगा साथ ही अन्य कार्यक्रम होंगे
 

जयपुरNov 01, 2019 / 02:09 pm

Deepshikha Vashista

Gopashtami

गोपाष्टमी चार नवंबर को, गाय और गोविंद की पूजा से आएगी सुख-समृद्धि, जाने शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

जयपुर. गोपाष्टमी का पर्व चार नवंबर को मनाया जाएगा। इस मौके पर शहरभर की गोशालाओं में गोवंश का पूजन किया जाएगा। साथ ही अन्य कार्यक्रम होंगे। गोविंददेवजी मंदिर में महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में मुख्य कार्यक्रम होगा। सुबह 10.45 बजे श्रृंगार झांकी के बाद चांदी की गौमाता का वेदमंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक कर विधिवत पूजन किया जाएगा। ठाकुर जी को केसरिया रंग की नटवर वेश पोशाक धारण कराई जाएगी तथा विशेष अलंकार धारण कराए जाएंगे।
यहां होंगे कार्यक्रम

पिंजरापोल, दुर्गापुरा हिंगोनिया, जोतड़ावाला सहित अन्य गौशालाओं में शाम से रात तक गौ मेला आयोजित होगा। पिंजरापोल गौशाला में गौ भजन संध्या में गौ माता की महिमा का गुणगान किया जाएगा। यहां ऑर्गेनिक उत्पाद और गौ आधारित वस्तुओं का मेला भी लगेगा। भारतीय नस्ल की गायों के चित्रों की प्रदर्शनी तथा जैविक खाद और जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त में गाय का श्रृंगार

गोपाष्टमी के पर्व पर ब्रह्म मुहूर्त में गाय और उसके बछड़े को नहलाकर तैयार करते हैं। उसका श्रृंगार किया जाता हैं, पैरों में घुंघरू बांधे जाते हैं, अन्य आभूषण पहनाएं जाते हैं। गौ माता के सींग पर चुनरी का पट्टा बांधते हैं। इसके बाद गौ माता की परिक्रमा कर उन्हें बाहर लेकर जाते हैं और कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं।
ग्वालों को दें दान

गोपाष्टमी के दिन ग्वालों को दान करना चाहिए। गोपाष्टमी की शाम जब गाय घर लौटती हैं, तब फिर उनकी पूजा की जाती है। खासतौर पर इस दिन गाय को हरा चारा, हरा मटर एवं गुड़ खिलाया जाता है। जिन श्रद्धालुओं के घरों में गाय नहीं हैं वे लोग गौशाला जाकर गाय की पूजा करते हैं। उन्हें गंगा जल, फूल चढ़ाते हैं, दिया जलाकर गुड़ खिलाते हैँ। गौशाला में खाना और अन्य वस्तु आदि दान की जाती हैं। ऐसी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है।

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