वापिस इकोलोजिकल जोन को सहेजने के मूड में नहीं है सरकार
वर्ष 2011 में लागू हुए मास्टर प्लान-2025 में इकोलोजिकल एरिया को मिश्रित भूउपयोग में शामिल कर लिया गया। इसमें जयपुर के दिल्ली रोड और आगरा रोड का बड़ा इलाका (करीब 1222 हैक्टेयर भूमि) मुख्य रूप से शामिल है। इसी आधार पर कोर्ट ने इकोलोजिकल एरिया को बदलने पर रोक लगाई थी। सरकार को इससे राज्यभर के बड़े शहरों में बने और बनाए जा रहे मास्टर प्लान में दिक्कत आ रही है। सरकार वापिस इकोलोजिकल जोन को सहेजने के मूड में नहीं है। यानि, इस मास्टर प्लान में जिस इकोलोजिकल जोन को संस्थानिक, औद्योगिक, आवासीय या व्यावसायिक कर दिया गया, उसी को यथावत रखना चाह रही है।
वर्ष 2011 में लागू हुए मास्टर प्लान-2025 में इकोलोजिकल एरिया को मिश्रित भूउपयोग में शामिल कर लिया गया। इसमें जयपुर के दिल्ली रोड और आगरा रोड का बड़ा इलाका (करीब 1222 हैक्टेयर भूमि) मुख्य रूप से शामिल है। इसी आधार पर कोर्ट ने इकोलोजिकल एरिया को बदलने पर रोक लगाई थी। सरकार को इससे राज्यभर के बड़े शहरों में बने और बनाए जा रहे मास्टर प्लान में दिक्कत आ रही है। सरकार वापिस इकोलोजिकल जोन को सहेजने के मूड में नहीं है। यानि, इस मास्टर प्लान में जिस इकोलोजिकल जोन को संस्थानिक, औद्योगिक, आवासीय या व्यावसायिक कर दिया गया, उसी को यथावत रखना चाह रही है।
इन पर हो रहा ज्यादा फोकस, तीनों इकोलोजिकल में
(1) औद्योगिक प्रोजेक्ट
आमेर तहसील के राजस्व ग्राम खैरवाड़ी में औद्योगिक योजना से जुड़ा मामला है। पहले करीब 36 हैक्टेयर जमीन पर औद्योगिक योजना सृजित करने का एजेंडा लाया गया, लेकिन बाद में रोका। क्योंकि, मास्टर प्लान 2011 में यह हिस्सा भी इकोलोजिकल ही है।
(2) शैक्षणिक संस्थान
आगरा रोड के सेक्टर 34 व 35 में कई शैक्षणिक संस्थानों को जमीन आवंटन कर दिया गया। 2006 से पहले के मास्टर प्लान में इकोलोजिकल क्षेत्र था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इनमें से 80 वर्ग किलोमीटर इलाके का भूउपयोग बदल दिया। हालांकि, हाईकोर्ट के आदेश के तहत यह अब भी इकोलोजिकल की जद में हैं। ऐसे संस्थान संचालक भी लगातार अफसरों के संपर्क में हैं।
(3) आवासीय योजना
दिल्ली रोड पर ग्राम नटाटा में करीब 22 हैक्टेयर भूमि पर आवासीय योजना सृजित करने की प्लानिंग हुई, जबकि यह भूमि इकोलोजिकल एरिया (मास्टर प्लान 2011 के अनुसार) में है। पहले तो जमीन की 90ए (भू—उपयोग परिवर्तन) कर दी गई। इसके बाद आवासीय योजना सृजित करने का आवेदन जेडीए पहुंचा था, लेकिन फिर बीच में रोका।
(1) औद्योगिक प्रोजेक्ट
आमेर तहसील के राजस्व ग्राम खैरवाड़ी में औद्योगिक योजना से जुड़ा मामला है। पहले करीब 36 हैक्टेयर जमीन पर औद्योगिक योजना सृजित करने का एजेंडा लाया गया, लेकिन बाद में रोका। क्योंकि, मास्टर प्लान 2011 में यह हिस्सा भी इकोलोजिकल ही है।
(2) शैक्षणिक संस्थान
आगरा रोड के सेक्टर 34 व 35 में कई शैक्षणिक संस्थानों को जमीन आवंटन कर दिया गया। 2006 से पहले के मास्टर प्लान में इकोलोजिकल क्षेत्र था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इनमें से 80 वर्ग किलोमीटर इलाके का भूउपयोग बदल दिया। हालांकि, हाईकोर्ट के आदेश के तहत यह अब भी इकोलोजिकल की जद में हैं। ऐसे संस्थान संचालक भी लगातार अफसरों के संपर्क में हैं।
(3) आवासीय योजना
दिल्ली रोड पर ग्राम नटाटा में करीब 22 हैक्टेयर भूमि पर आवासीय योजना सृजित करने की प्लानिंग हुई, जबकि यह भूमि इकोलोजिकल एरिया (मास्टर प्लान 2011 के अनुसार) में है। पहले तो जमीन की 90ए (भू—उपयोग परिवर्तन) कर दी गई। इसके बाद आवासीय योजना सृजित करने का आवेदन जेडीए पहुंचा था, लेकिन फिर बीच में रोका।