8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम ही कर रहे सरकारी जमीन Òखुर्दबुर्दÓ, मिलीभगत रोकने की जिम्मेदारी कलक्टर को मिली

राज्य सरकार ने निकाला तोड़ राजस्व कर्मचारियों पर नकेल, हर जिले में कलक्टर की अध्यक्षता में कमेटी गठित अपील की बजाय राजस्व अधिकारी अपने स्तर पर जमीन को कर रहे थे दूसरों के नाम अदालत के आदेश की पालना के लिए भी लेनी होगी कमेटी की इजाजत

2 min read
Google source verification

जयपुर. कानूनी लड़ाई लड़ने की बजाय राजस्व अधिकारी सरकार की ही जमीन को निजी खातेदारों के नाम कर रहे हैं। ऐसे ही कई मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने ऐसे अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए नई व्यवस्था की है। अब सरकारी जमीन या कस्टोडियन जमीन के मामले में किसी भी न्यायालय के आदेश की पालना से पहले जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी की इजाजत लेनी पड़ेगी। कमेटी तय करेगी कि मामले में कानूनी लड़ाई लड़ी जाए या आदेश की उसी स्तर पर पालना की जाए। यह आदेश राजस्व विभाग की ओर से जारी किए गए हैं।
दरअसल, पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए हैं। इनमें पुराने आवंटन आदेशों का उपयोग कर फर्जी तरीके से रिकॉर्ड में अमलदरामद (जमाबंदी में नामान्तरण अपडेट करना) कर सरकारी भूमि को खुर्द-बुर्द किया गया। इससे सरकार को हानि व निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया गया। ऐसे मामले सामने आने के बाद राजस्व विभाग ने जानकारी जुटाई। इसमें पता चला कि विभिन्न न्यायालयों में सरकारी भूमि को खातेदारी देने के निर्णयों में उच्च स्तर पर अपील या नो-अपील का निर्णय कराया जाना जरूरी था। इसकी बजाय निचले स्तर पर राजस्व रिकॉर्ड में अमलदरामद कर दिया गया।

अब कमेटी से लेगी होगी इजाजत
सरकारी जमीन से जुड़े ऐसे मामलों पर निगरानी के लिए राज्य सरकार ने जिला स्तर पर राजकीय भूमि नामान्तरण परामर्श समिति (जीएलएमएसी) का गठन किया है। कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में अतिरिक्त जिला कलक्टर, उपविधि परामर्शी या संयुक्त विधि परामर्शी, प्रभारी अधिकारी भू-अभिलेख/उपखण्ड अधिकारी (मुख्यालय) भी होंगे। यह भी तय किया गया है कि सरकारी भूमि से संबंधित नामान्तरण आवेदन को पटवारी जीएलएमएससी कमेटी में पेश करेंगे। कमेटी आवंटन आदेश (न्यायिक निर्णय) से संबंधित दस्तावेज का परीक्षण करेगी। इस आधार पर वह अपील या नो अपील का निर्णय करेगी। न्यायालय निर्णय पर सक्षम स्तर से अपील का निर्णय लिया गया है तो कमेटी नामान्तरण आवेदन को निरस्त करने की सिफारिश भी करेगी। राजस्व उपसचिव बिरदी चंद गंगवाल की ओर से जारी यह आदेश सभी जिला कलक्टर को भिजवाए गए हैं।

इन मामलों से खुली सरकार की आंखें...

1. बीकानेर के पूगल में अनकमांड जमीन 1971-1976 के बीच और 1985 में भूमिहीन किसानाें काे नि:शुल्क आवंटित की गई थी। जमीन की किसी ने सुध नहीं ली तो उसे वापस अराजीराज किया गया। क्षेत्र में जमीन की कीमत बढ़ी तो हाल ही कुछ लोगों ने अराजीराज जमीन काे वापस लेने के लिए आवेदन किया। क्षेत्रीय राजस्व अधिकारियों ने एसडीएम काेर्ट में वाद दायर करने की बजाय मिलीभगत कर जमीन आवेदकों के नाम आवंटित कर दी। जिला कलक्टर नम्रता वृष्णि की रिपोर्ट पर भू अभिलेख निरीक्षक इकबाल सिंह व जयसिंह, ऑफिस कानूनगाे भंवर लाल मेघवाल, पटवारी लूणाराम, मांगीलाल बिश्नाेई, राजेन्द्र स्वामी और विकास पूनिया को निलंबित किया गया।

2. नागौर के डीडवाना व कुचामन में कस्टोडियन भूमि को किसी के नाम करने के मामले में स्थानीय एसडीएम की भूमिका संदिग्ध पाई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने दोनों एसडीएम को निलम्बित कर दिया था। इस मामले में पाया कि निजी खातेदारों के पक्ष में हुए आदेश की अपील होनी चाहिए थी।