एतराज़ जताने वाले गुर्जर नेता का कहना है कि सरकार ने समाज से पूर्व में हुए समझौते में कभी भी ‘बैकलॉग’ की मांग पूरी करने का वादा किया ही नहीं। ऐसे में समाज की ‘बैकलॉग’ भरने की मांग ही गलत है। इस धड़े के नेताओं का कहना है कि यदि ‘बैकलॉग’ शब्द को काम में लेकर मांग की जायेगी तो सरकार फिर से इसे नज़रअंदाज़ कर सकती है, जैसा कि पहले होता आया है।
‘समझौते का अध्ययन करें बैंसला’ सरकारी भर्तियों में बैकलॉग की मांग पर एतराज़ जताने वाले गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला से आरक्षण आन्दोलन के दौरान हुए समझौतों का अध्ययन करने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा कि सरकार के साथ हुए किसी भी समझौते में एसबीसी या एमबीसी वर्ग के लिए बैकलॉग देने का कोई वायदा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि 6 मई 2010 के समझौते के अनुसार 4 प्रतिशत रिर्जव पद देने का वायदा किया गया है। लिहाजा समाज को ‘बैकलॉग’ की मांग नहीं करके ‘रिज़र्व’ पद की मांग करनी चाहिए तभी कोई समाधान निकलेगा।
‘समझौते के विपरीत मांग कभी पूरी नहीं होगी’ गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने कहा कि यदि समाज समझौते की विपरीत जाकर सरकार से मांग करेगा तो सरकार में बैठे अधिकारी माँग को नज़रअंदाज़ करेंगे जैसा कि 19 माह से देखने को मिल रहा है।
‘कांग्रेस-भाजपा विचारधारा से अलग होना होगा’ समाज के ही नेताओं का नाम लिए बगैर गुर्जर नेता हिम्मत सिंह ने निशाना साधते हुए कहा कि यदि समाज को एमबीसी युवाओं को सच में फ़ायदा दिलाना है तो कांग्रेस व भाजपा की विचारधारा से अलग होना पड़ेगा।
‘कांग्रेस घोषणा पत्र में ‘बैकलॉग’ शब्द का गलत प्रयोग’ बैंसला पक्ष की ‘बैकलॉग’ मांग पर एतराज जताते हुए हिम्मत सिंह ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने घोषणा-पत्र में एसबीसी या एमबीसी में बैकलॉग देने का वायदा किया जिसमें बैकलॉग शब्द का प्रयोग ग़लत किया गया लेकिन ज़रूरी नहीं है, गुर्जर समाज उसी शब्द का प्रयोग करे। सरकार से समझौता रिज़र्व पद के लिए हुआ है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में भी मंत्रियों और अधिकारियों का यही मानना है कि एमबीसी आरक्षण में बैकलॉग देने का प्रावधान ही नहीं है।