बच्ची के पिता रिक्शा चलाते हैं। उन्होने बच्ची को कई जगह दिखाया पर बीमारी का पता नहीं चला। बाद में उन्होने एक निजी अस्पताल में दिखाया तो बीमारी पकड़ में आई। जीवन रेखा अस्पताल के पेट, आंत व लीवर रोग विशेषज्ञ डॉ. साकेत अग्रवाल ने बताया कि यह पन्द्रह साल की लडक़ी मनोरोगी है। उसे कब बाल खाने की आदत पड़ गई, उसे पता ही नहीं चला। पिछले कुछ महीनों से उसके पेट में दर्द की शिकायत शुरू हुई। जब वे बच्ची को यहां अस्पताल लाए तो बच्ची की सोनोग्राफी व अन्य जांचें करवाई गई। सोनोग्राफी जांच में यह तो पता चल रहा था कि बच्ची के पेट में गांठ नूमा कुछ है पर यह क्या चीज है इसका खुलासा नहीं हो पा रहा था। इसके लिए बच्ची की एण्डोस्कोपी करवाई गई।
उन्होने बताया कि एण्डोस्कोपी जांच में पता चला कि पेट में बालों का गुच्छा है। धीरे-धीरे करके काफी बाल बच्ची के पेट में एकत्र हो गए थे। इन बालों को पेट से निकालना एक बड़ी चुनौति थी। इस बीमारी को ट्राइको बेजर के नाम से जाना जाता है। बड़ी सावधानी से पेट का ऑपरेशन करके बालों को निकाला गया। उन्होने बताया कि पेट में बाल जमा होने के कारण बच्ची कुछ खा नहीं पाती थी। कुछ खाती थी तो वह उल्टी के जरिए बाहर आ जाता था। इस कारण पिछले कुछ दिनों से बच्ची बहुत सुस्त-सुस्त रहने लग गई थी। बच्ची मानसिक रोगी होने के कारण दोबार भी बाल खा सकती है। ऐसे में उसके पिता को बाल ठककर रखने या फिर बालों को काटने की सलाह दी गई है। बच्ची के सिर के आगे के बाल गायब थे तथा कुछ बाल विपरीत दिशा में मुड़े हुए थे, इसी कारण शक हुआ कि बच्ची को बाल खाने की बीमारी हो सकती है।
उपचार के दौर डां. कपिलेश्वर विजय जी. आई सर्जन व डां. मीनाक्षी निश्चेतना विषेशज्ञ टीम में शामिल रहे।