पिछले साढ़े पांच सालों में बैंकों की 367765 करोड़ की रकम आपसी समझौते के तहत डूब (राइट ऑफ) गई है। सूचना के अधिकार के तहत, रिजर्व बैंक की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2012-13 से सितंबर 2017 तक सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बैंकों ने आपसी समझौते के जरिए कुल 3,67765 करोड़ की रकम राइट ऑफ की है।
अभी तक पीएनबी घोटाले से बैंक को करीब 30,000 करोड़ रुपए का चूना लग चुका है। इसमें घोटालेे की 11,400 करोड़ रुपए और शेयरों में गिरावट शामिल है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक सितंबर 2017 तक सरकारी बैंक में एनपीए की रकम 7 लाख 34 हजार करोड़। अगर, यह रकम वसूल नहीं होता है और इसकी भरपाई देश के हर नागरिक से की जाती है तो 130 करोड़ भारतीयों में हर को 5,600 रुपए देना होगा। बैंकों का जो बुरा हाल हुआ उसे सुधारने के लिए सरकार ने 11 साल में 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए दे दिए। यानी हर भारतीय की जेब पर इसका बोझ पड़ा 2,000 रुपए। तो इस तरह हम सब अपनी जेब से औसतन 7,600 रुपए चुकाएंगे।
पंजाब नैशनल बैंक में हुए महाघोटाले के बाद बैंक ने कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। बैंक ने अपने 18 हजार कर्मचारियों का तबादला कर दिया है। अभी तक सीबीआई ने तीन कर्मचारी और बैंक के जनरल मैनेजर को गिरफ्तार किया है। पीएनबी इस मामले से जुड़े अपने 18 कर्मचारियों को पहले ही निलंबित कर चुका है।
रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पीएनबी घोटाले के परिप्रेक्ष्य में बैंकों में बढ़ रहे फर्जीवाड़ों के कारणों की जांच और उनके रोकथाम के उपाय सुझाने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल के पूर्व सदस्य वाई.एच. मालेगाम को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। निदेशक मंडल के मौजूदा सदस्य भरत दोसी, केनरा बैंक के पूर्व सीएमडी तथा सेबी के पूर्व पूर्णकालिक सदस्य एस. रमन और रिजर्व बैंक इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नंद कुमार सर्वदे को समिति का सदस्य बनाया गया है। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक ए.के. मिश्रा समिति के सदस्य सचिव होंगे।