स्टेशनों की अनदेखी
राजधानी में जयपुर जंक्शन, गांधीनगर, दुर्गापुरा, ढेहर के बालाजी, सांगानेर, खातीपुरा, कनकपुरा और गैटोर-जगतपुरा समेत कुल आठ रेलवे स्टेशन है। इनमें केवल जयपुर जंक्शन से ही टर्मिनल स्टेशन की तरह ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन अन्य सातों रेलवे स्टेशन की अनदेखी हो रही है।
तो 50 फीसदी तक घट जाएगा यात्री भार
रेलवे विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी के छोटे स्टेशनों से टर्मिनल स्टेशन की तर्ज पर ट्रेनों का संचालन शुरू किया जाए तो जयपुर जंक्शन पर यात्री भार 50 फीसदी तक घट जाएगा। साथ ही सड़कों से वाहनों का दबाव कम हो जाएगा। ये सभी स्टेशन घनी आबादी क्षेत्र में हैं। इसके बावजूद लाखों लोग करीबी रेलवे स्टेशनों की बजाय जयपुर जंक्शन से सफर करने को मजबूर है। जंक्शन पर आवाजाही के लिए लोग स्वयं के वाहन या कैब टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं।
यह होता है टर्मिनल स्टेशन
वह स्टेशन जहां रेलवे ट्रैक समाप्त हो जाए या उस स्टेशन के आगे कोई ट्रैक (पटरी) न हो तो उस स्टेशन को टर्मिनल या टर्मिनस कहा जाता है। इस स्टेशन के बाद में रेल को उसी दिशा में जाना पड़ता जिस दिशा से वह आई हो। जैसे छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, बांद्रा टर्मिनल आदि। राजधानी के छोटे स्टेशनों पर इसी तर्ज पर ट्रेनों का संचालन शुरू किया जा सकता है।