यदि भवन की छत का एरिया 1000 वर्गफीट है और वहां 5 लोग निवास कर रहे हैं तो बारिश के एक सीजन में 1 साल में उपयोग आने वाला पेयजल सहेजा जा सकता है। 225 वर्गमीटर भूखंड पर छत का अधिकतम निर्मित एरिया 2421 वर्गफीट होगा। इस तरह दो साल से ज्यादा पेयजल जमीन में संचित कर पाएंगे। अभी ऐसे भवनों का पानी सीवर लाइन या नालों में बह रहा है।
300 वर्गमीटर से ज्यादा क्षेत्रफल के लाखों भवन निर्मित हैं, लेकिन हार्वेस्टिंग सिस्टम 5 से 8 फीसदी भवनों में ही बनाए गए। पिछले 5 वर्ष में नियमों को ताक पर रखने वाले एक भी निर्माणकर्ता से जुर्माना नहीं वसूला गया, केवल नोटिस देकर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली गई।
पानी को दोबारा उपयोगी बनाने के लिए अब 5 हजार की जगह 2500 वर्गमीटर क्षेत्रफल के भूखंड पर बनने वाले बहुमंजिला आवास व भूखंड आवासीय योजनाओं में भी ट्रीटमेंट प्लांट बनाना जरूरी होगा। साथ इन योजनाओं में रहने वाले फ्लैटधारक और भूखंडधारियों को शौचालय में ड्यूल फ्लश (टू-फ्लश सिस्टम) लगाना अनिवार्य हो जाएगा। यानि, शौच जाने के बाद अलग बटन और पेशाब (यूरीन) के दौरान अलग उपयोग होगा। इसमें अधिकतम एक लीटर पानी का ही उपयोग होगा। इसकेे दायरे में बनने वाले हजारों फ्लैट-भूखंड आ जाएंगे। अफसरों का दावा है कि एक घर में 5 लोग रह रहे हैं तो ड्यूल फ्लश सिस्टम से ही प्रतिदिन 40 से 50 लीटर पानी की बचत होगी।