
जयपुर। मोबाइल टावरों पर लगे फोर-जी और फाइव-जी उपकरणों की चोरी की वारदात तेजी से बढ़ रही है। दिल्ली एनसीआर के बाद सबसे ज्यादा चोरियां राजस्थान में हो रही है। अप्रेल से सितंबर के बीच ही आठ सौ से अधिक चोरियां हो चुकी हैं। चोरी किए उपकरण स्क्रेप के रूप में देश से बाहर जा रहे हैं। दिल्ली में पकड़ी गई कई गैंग से चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियों का दावा है कि चोरी का माल नेपाल और बांग्लादेश के बाद अब यूक्रेन में बेचा जा रहा है। दिल्ली व राजस्थान पुलिस भी यह स्वीकार कर रही है, लेकिन वहां तक पुलिस अभी नहीं पहुंच पाई है।
टावर पर चोर आरआरयू जैसे उपकरण चुराने के लिए चढ़ रहे हैं। आरआरयू (रिमोट रेडियो यूनिट) की एक यूनिट ही दो से तीन लाख रुपए की होती है, जो एक टावर पर तीन से पांच तक हो सकती हैं। आरआरयू पन्द्रह से तीस मीटर की ऊंचाई के बीच लगाए जाते हैं। आरआरयू का उपयोग फोर-जी व फाइव-जी नेटवर्क के लिए ही होता है। इस कारण इसकी चोर मार्केट में भी डिमांड रहती है। आरआरयू की तरह ही बीबीयू (बेसबैंड यूनिट) की भी चोरी हो रही है। यह टावर के फाउंडेशन के पास लगती है, जिसकी कीमत चार से पांच लाख रुपए होती है।
नेपाल और बांग्लादेश में ये उपकरण इस कारण बिक रहे थे कि वहां फोर-जी व फाइव-जी तकनीक नई है। भारत से चोरी किया माल वहां पहुंचाना भी आसान है। अब चोरों को नया मार्केट यूक्रेन के रूप में मिला है। वहां युद्ध के चलते नियमित व्यापार बाधित है। ऐसे में जरूरत के मुताबिक तकनीकी उपकरण भी नहीं मिल रहे। चोर गिरोह वहां नई तकनीक वाले आरआरयू व बीबीयू स्क्रेप के रूप में पहुंचा रहे हैं। पड़ताल में यह तथ्य आने के बाद टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियों ने चिंता जताने के साथ सुरक्षा एजेंसियों से मदद मांगी है।
टावरों पर चोरी की वारदात सबसे अधिक दिल्ली एनसीआर इलाके में हो रही हैं। इसी तरह राजस्थान में भी कुछ माह में अचानक वारदात बढ़ी हैं। आंकड़े बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में जहां 400 से अधिक वारदात हुई वहीं, 2023-24 में यह संख्या 1750 से अधिक पहुंच गई। इसी तरह वर्ष 2024-25 में अभी तक करीब आठ सौ वारदात हो चुकी है। पुलिस ने कुछ मामलों में एफआइआर दर्ज की है तो कुछ में परिवाद ही दर्ज किया है।
टावर से उपकरण चुराना हर किसी के बस में नहीं है। ऐसे में गिरोह ने टेलीकम्युनिकेशन कम्पनियों के कर्मचारियों को अपने साथ मिला लिया। धौलपुर में ही फरवरी माह में पुलिस ने एक गैंग को पकड़ा था, जिसमें कुछ कम्पनियों के पूर्व कर्मचारी भी शामिल थे। वही टावर से आरआरयू उतार कर लाते थे। इस मामले में पुलिस दिल्ली के स्क्रैप का काम करने वाले को तलाश रही है।
इनका कहना है…..
जहां भी गैंग पकड़ी जा रही है, उनसे पूछताछ कर संगठित गिरोह की पहचान की जा रही है।
विजय कुमार सिंह, एडीजी एसओजी
एक संगठित गिरोह कुछ दिन पहले पकड़ा था। जांच में दिल्ली के स्क्रैप व्यापारी की भूमिका सामने आई थी। उसकी तलाश जारी है।
सुमित मेहरड़ा, एसपी धौलपुर
करीब सवा करोड़ के उपकरणों सहित एक गैंग को पकड़ा था। दिल्ली के एक स्क्रैप व्यापारी की भूमिका सामने आई थी। उसमें यूक्रेन सहित कई देशों में चोरी का माल जाने की बात आ रही है। कबाड़ी के पकड़े जाने पर खुलासे होंगे।
नरेश कुमार, झज्जर जिला पुलिस की एंटी नारकोटिक्स टीम के अधिकारी
Updated on:
23 Sept 2024 03:50 pm
Published on:
23 Sept 2024 03:47 pm
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