आरोह 2007 से फ्लोरिडा में एंबी- रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग भौतिकी बच्चों को पढ़ाने के बाद लिखते थे। रिसर्च पेपर के प्रोफेसर हैं। वह पिछले 20 वर्षों से नासा से जुड़े हुए हैं। इससे पहले ग्रहण पथ मिशन के लिए नासा के गोडार्ड अंतरिक्ष केंद्र में वॉलॉप्स फ्लाइट फैसिलिटी से उनकी टीम तीन साउंडिंग रॉकेट सफलतापूर्वक लॉन्च कर चुकी है।
आरोह की बहन अपूर्वा ने बताया कि उनके पिता थाईलैंड में नौकरी करते थे और वे चाहते थे कि आरोह को अच्छी शिक्षा मिले। इसलिए आरोह की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर में ही हुई है। अपूर्वा का कहना है कि आरोह का अब भी जयपुर से विशेष लगाव है। जब भी वो भारत आते हैं तो जयपुर जरूर आते हैं। यूएसए में बच्चों को पढ़ाने के बाद वो रिसर्च पेपर लिखते और उसके बाद उन्होंने नासा में अपने प्रोजेक्ट भेजना शुरू किया।
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आरोह की बहन अपूर्वा ने बताया कि उनके पिता थाईलैंड में नौकरी करते थे और वे चाहते थे कि आरोह को अच्छी शिक्षा मिले। इसलिए आरोह की प्रारंभिक शिक्षा जयपुर में ही हुई है। अपूर्वा का कहना है कि आरोह का अब भी जयपुर से विशेष लगाव है। जब भी वो भारत आते हैं तो जयपुर जरूर आते हैं। यूएसए में बच्चों को पढ़ाने के बाद वो रिसर्च पेपर लिखते और उसके बाद उन्होंने नासा में अपने प्रोजेक्ट भेजना शुरू किया।
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