अभी चार घंटे काम कर रही है मोबाइल कोर्ट तब यह हाल है…
मोबाइल कोर्ट संख्या 27 28 और 29 में जयपुर शहर के वाहनों के चालन छूटने हैंं। मंगलवार से ही यहां सही तरीके से रीलिज आर्डर बनाने का काम शुरु हुआ है। सवेरे साढे आठ बजे से साढ़े बारह बजे की कोर्ट है और इस दौरान आधे घंटे का लंच भी है। कोर्ट में जाने के बाद आपको सबसे पहले एप्लीकेशन देनी होगी, उसके बाद आपकी फाइल निकाली जाएगी जो थाने से यहां जमा कराई गई होगी। उसके बाद मजिस्ट्रेड आपके जुर्म पर जुर्माना लगाएंगे और तब जाकर आपके रीलिज आर्डर बनेगा। इस पूरी प्रकिया में करीब दस से पंद्रह मिनट खर्च होंगी।
एक मिनट में भी आॅर्डर बनता है तो लगेगा इतना समय
मान लीजिए कोर्ट में आवेदन से लेकर जुर्माने की प्रक्रिया को पूरी करने में एक मिनट का समय लगता है तो तीन कोर्ट जो एक दिन में 630 मिनट काम करेंगी वह एक दिन में 630 रिलिज आॅर्डर देंगी। इस हिसाब से 17 हजार पांच सौ से ज्यादा वाहनों के लिए रिलिज आॅर्डर बनने में 45 दिन से भी ज्यादा समय लग जाएगा। ऐसे में अगर हर दिन इतनी ही भीड़ कोर्ट में रहती है तो इस बारे में सरकार को कोई दूसरे प्रबंध करने होंगे।
रिलीज ऑर्डर के बाद यह प्रकिया अपनानी होगी
दी डिस्ट्रीक एडवोकेट बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया वाहनों को कोर्ट से छुड़ाने के लिए वाहन मालिक या अधिवक्ता कोर्ट में ई आवेदन कर सकते हैं। नई व्यवस्था में वाहन सुपुर्दगी के आवेदन पत्र केवल ऑनलाइन ही मंजूर किए जाएंगे और दस्तावेजों का सत्यापन भी ऑनलाइन होगा व केवल वाहन धारक या उनके वकील में से किसी एक जने को ही कोर्ट में जाना होगा। लेकिन उसके बाद भी कोर्ट में भीड़ ल रही है। ऐसे में संभव है कि थानों को कुछ अतिरिक्त पावर देकर वहीं से वाहन छोड़ दिए जाएं। जिससे इतनी परेशानी नहीं हो। इस बारे में हमने भी पत्र लिखा है।
प्रदेश भर में लॉक डाउन के दौरान अब तक एक लाख 36 हजार से भी ज्यादा वाहन जब्त हुए हैं। एडवोकेट मनोज मुद्गल का कहना है कि इन वाहनों को अगर कोर्ट से छुड़वाया जाता है तो कोर्ट पर अनावश्यक बोझ बढेगा। जबकि इन वाहनों को कुछ मामूली नियम बनाकर थानों से भी छोड़ा जा सकता है। कोरोना काल में वैसे भी कई बदलाव हो रहे हैं तो एक बदलाव यह भी किया जा सकता है। जिससे सोशल डिस्टेंसिंग जैसे बेहद जरुरी नियम की पालना की जा सके।