मेघवाल के साथ ही अरुण चतुर्वेदी, ओम बिड़ला, सुरेंद्र पारीक, लक्ष्मीनारायण दवे, सतीश पूनिया तथा गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम चर्चा में है। हालांकि अब प्रदेशाध्यक्ष कोई राजपूत जाति से आता है तो जाट मतदाताओं और जाट जाति के किसी नेता को यह जिम्मेदारी सौंपने पर राजपूत मतदाताओं में नाराजगी होने का जोखिम माना जा रहा है। ऐसे में एससी या ब्राह्मण जाति के किसी नेता को स्वीकार्य चेहरे के तौर पर सामने लाया जा सकता है।
दो लोकसभा तथा एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव में करारी हार के ढाई माह बाद इस्तीफा देने वाले परनामी ने इस्तीफे का कारण व्यक्तिगत व्यस्तता बताया है। भाजपा नेतृत्व ने उनको जिस तरह केंद्रीय कार्यकारिणी में समायोजित किया है, उससे साफ लग रहा है कि उनका इस्तीफा लिया गया है। इस बीच, प्रदेश भाजपा मुख्यालय में बुधवार को दिनभर परनामी के इस्तीफे और नए अध्यक्ष के नाम को लेकर चर्चा और चर्चाओं का दौर चलता रहा।
राजस्थान में दो लोकसभा तथा एक विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में मात खाने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा में आक्रोश खुलकर सामने आने लगा था। अचानक अध्यक्ष पद से परनामी के विदाई को आगामी चुनाव में सोशल इंजीनियरिंग से साख बचाने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला। वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री के रूप में 13 दिसंबर, 2013 को प्रदेश की कमान संभाली। तब उन्होंने अपने विश्वस्त माने जाने वाले विधायक अशोक परनामी को फरवरी, 2014 में भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनवाया था, तब माना जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व ने राजे को फ्र ी हैंड दे दिया। उपचुनाव में हुई किरकिरी के बाद चर्चा प्रदेश का नेतृत्व बदलने की चली थी, लेकिन प्रदेशाध्यक्ष पद पर चेहरा बदलकर कार्यकर्ताओं की नाराजगी को कम करने की कोशिश की गई है।
राजस्थान में दो लोकसभा और एक विधानसभा की सीटों के लिए हुए उपचुनाव के परिणाम 1 फरवरी को घोषित किए गए। इनमें सत्तारूढ़ भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। तीनों सीटों पर भाजपा को मतदान प्रतिशत में 12 से लेकर 21 प्रतिशत तक का नुकसान हुआ है। भाजपा को अलवर लोकसभा क्षेत्र में 2014 के चुनाव में मिले 61 प्रतिशत वोटों के मुकाबले पार्टी को केवल 40 फीसदी वोट ही हासिल हुए। अजमेर लोकसभा में भाजपा को मिले वोटों का प्रतिशत 56 प्रतिशत से लुढक़ कर 44 फीसदी पर आ गया। मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर भाजपा को 2013 में 52 फीसदी वोट मिले थे, जो उपचुनाव में घटकर 32 फीसदी ही रह गया।
उपचुनाव परिणामों को लेकर प्रेसवार्ता में प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर अशोक परनामी ने कहा था कि पार्टी की हार या जीत किसी की व्यक्तिगत नहीं है। यह सामूहिक जिम्मेदारी होती है। मैंने अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को 16 अप्रेल को दे दिया था। मैं पार्टी के अनुशासित कार्यकर्ता के रूप में कार्य करता रहूंगा। पिछले चार साल में मैंने पार्टी को सशक्त करने का कार्य किया है और भविष्य में भी अपनी जिम्मेदारी निभाता रहूंगा।
-अशोक परनामी, भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष