सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को विधायकों के चेहरे पर राजनीतिक हालात का तनाव नजर नहीं आया। ज्यादातर मौज-मस्ती के मूड में ही दिखे। रात को राजस्थानी लोक संगीत के आनंद के बाद दोपहर में दाल-बाटी के लंच का आयोजन हुआ। इस दौरान करीब घंटा भर क्रिकेट में बैट और गेंद पर भी हाथ आजमाए। इस दौरान दोनों रिसार्ट के विधायक एक-साथ जुटे। ऐसे में आपसी गपशप और टीवी पर समाचार देखकर ही टाइम काट रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार विधायक एक ही रिसोर्ट में सभी की व्यवस्था करने की बात कर रहे हैं, मगर दोनों ही में इतने कमरे नहीं हैं कि सभी को एक साथ रखा जा सके। दरअसल गुरुवार को क्रिकेट मैच और सामूहिक भोज के बाद यह मांग उठाई, जिसे राजस्थान के व्यवस्थापकों ने फिलहाल मना कर दिया है।
इस बीच कांग्रेस का कहना है कि वह 22 विधायकों के इस्तीफे पर फैसला होने के बाद विश्वासमत के लिए तैयार है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने बताया, स्पीकर ने इस्तीफा देने वाले छह मंत्रियों सहित 22 विधायकों को नोटिस जारी किए हैं। उनका कहना था कि ये विधायक अपने इस्तीफे देने के लिए विधानसभा स्पीकर से क्यों नहीं मिल रहे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंगलवार को कांग्रेस छोडऩे और 22 विधायकों के इस्तीफे से 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार बड़ी मुश्किल का सामना कर रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा में भाजपा के चीफ व्हिप नरोत्तम मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया, राज्य सरकार के अल्पमत में होने के कारण हम राज्यपाल और विधानसभा स्पीकर से 16 मार्च को बहुमत परीक्षण की मांग करेंगे।
राजस्थान में कांग्रेस सरकार बेहद मजबूत दिखाई दे रही है। 200 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 107 सदस्य हैं। इसके अलावा भी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन कांग्रेस को मिला हुआ है। इन निर्दलीयों में ज़्यादातर कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं। कांग्रेस सरकार के मंत्री भी लगातार इस बात को कह रहे हैं कि राजस्थान में कोई दिक्कत नहीं है।
इधर, भाजपा की संख्या सदन में 72 है। इसके अलावा आरएलपी के भी 3 विधायक भाजपा के साथ हैं। वहीं ट्राइबल पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो- दो विधायक हैं। आरएलपी के सहयोग से भाजपा की संख्या 75 हो जाती है। ऐसे में सरकार बनाने के लिये भाजपा को कम से कम 25 विधायक चाहिए। ये तभी संभव है जब 25 से अधिक विधायक इस्तीफा दें।
ऐसे में राजस्थान में मध्य प्रदेश जैसी स्थिति बनने के आसार बहुत कम दिखाई दे रहे हैं। वैसे राजनीतिक चाल को भांपते हुए बसपा में विधायकों का पहले ही कांग्रेस में विलय करा लिया गया था। अब उम्मीद ये की जा रही है कि जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। इसमें बसपा से आये विधायकों के अलावा निर्दलीय विधायको को मंत्री बनाया जाएगा।