-सेना गृहमंत्री नही पीएम हैं बुलाते : जावड़ेकर -जावड़ेकर ने कहा कि डॉ. सिंह जानते हैं कि सेना को गृह मंत्री नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री आदेश देकर बुलवाते हैं।
-अगर वे दिवंगत नरसिम्हा राव को बुरा व्यक्ति समझते हैं, तो उनके मंत्रिमंडल में वित्त मंत्री क्यों बने थे।
-तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने उलटा दंगों में सिखों के मारे जाने का परोक्ष समर्थन करते हुए कहा था कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। उन्हें अपनी गलती माननी चाहिए।
-बयान से काफी दुख पहुंचा : नरसिम्हा राव के परिजन नरसिम्हा राव के पोते एन.वी. सुभाष ने गुरुवार को कहा कि नरसिंह राव के परिवार का हिस्सा होने की वजह से वह डॉक्टर मनमोहन सिंह के बयान से काफी दुखी हैं। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। क्या कोई गृह मंत्री बिना मंत्रिमंडल की मंजूरी के स्वतंत्र रूप से कोई फैसला ले सकता है। यदि सेना को बुला लिया जाता तो तबाही मच जाती।
-सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना सोशल मीडिया पर भी इस मसले पर डॉ. मनमोहन सिंह की तीखी आलोचना हो रही है। लोगों का कहना है कि दस साल प्रधानमंत्री रहने के बाद भी डॉ. मनमोहन सिंह का कहना कि गृह मंत्री सेना बुला सकते हैं, हैरत की बात है। लोगों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सिख दंगों के कलंक से बचाने की उनकी असफल कोशिश भी कहा है।
-मनमोहन कहिन…काश! जल्द बुला लेते सेना डॉ. सिंह ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की 100वीं जयंती पर आयोजित समारोह में कहा था कि दिल्ली में जब 84 के सिख दंगे हो रहे थे, गुजराल उस समय के गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए थे और उनसे कहा था कि स्थिति इतनी गंभीर है कि सरकार के लिए जल्द से जल्द सेना को बुलाना आवश्यक है। अगर राव गुजराल की सलाह मानकर जरूरी कार्रवाई करते तो शायद 1984 के नरसंहार से बचा जा सकता था।
-ठीकरा राव के सिर फोडऩे की कांग्रेस की पैंतरेबाजी: चुघ भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तरुण चुघ ने कहा है कि 30 साल तक जांच की आंच से बचने की कवायद के तहत कांग्रेस ने 1984 के सिखों विरोधी दंगों में सिखों के सामूहिक नरसंहार का ठीकरा तत्कालीन गृह मंत्री नरसिम्हा राव पर फोडऩे की नई पैंतरेबाजी शुरू की है। चुघ ने पूर्व पीएम सिंह के बयान को गांधी परिवार की घोर चाटुकारिता करार देते हुए कहा कि उस समय डॉ. सिंह रिर्जव बैंक के गवर्नर के पद पर तैनात थे। सिख दंगों पर उनकी चुप्पी पर कालांतर में उन्हें देश का वित्तमंत्री और प्रधानमंत्री पद पर बिठा कर गांधी परिवार ने उनकी परिवार के प्रति वफादारी का अहसान अदा किया।