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जयपुर

लड़कियों की शिक्षा के लिए एनआरआई की पहल

खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर सोच बहुत ही संकुचित है।

जयपुरAug 13, 2017 / 12:28 pm

जमील खान

Girls Education

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जयपुर। बैल्जियम में रहने वाले छह सदस्यीय प्रवासी भारतीय ने भारत में लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर में नई शुरुआत की है। भारत में लडक़ों की तरह ही लड़कियों को भी शिक्षा से जुडऩे का समान अवसर मिले और उनकी शिक्षा में किसी तरह की रुकावट ना आए इस उददेश्य को लेकर यहां आए छह एनआरआई बच्चों के दल ने गत पांच दिनों में जयपुर शहर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों की मानसिकता बदलने के साथ ही लड़कियों की शिक्षा के महत्व को बता रहे हैं।

दल के सदस्य अरनव कोठारी ने बताया कि टीम के सभी छह मैम्बर्स इंडिया से जुड़े हुए हैं। बैल्जियम में भी कई बार वहां रह रहे भारतीय परिवारों से सम्पर्क करने का मौका मिला। इस दौरान कई बार महसुस किया कि भारत में लडक़ों की पढ़ाई पर तो माता-पिता पूरा ध्यान देते हैं, लेकिन लड़कियों के लिए शिक्षा का महत्व कम समझा जाता है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर सोच बहुत ही संकुचित है। इस सोच को बदलने की चाहत के साथ ही दोस्तों ने फंड जुटाने की दिशा में काम शुरू किया।

पेंटिंग्स की ब्रिकी से हुई आय को शिक्षा को इस कॉज के लिए रखा
उन्होंने बताया कि इसके तहत ‘खिलती परी’ के नाम से एनजीओ की शुरुआत के साथ हमने बैल्जियम के लोगों को अपने इस सामाजिक सारोकारों से जोड़ा। उन्होंने बताया कि बैल्जियम के प्रोफेशनल और अमेचर आर्टिस्टस को इस कॉज से जोडऩे का निर्णय लिया गया। ऐसे में सभी आर्टिस्ट ने अपनी तरफ से चार सौ पेंटिंग्स बनाई और उन पेंटिंग्स की कला प्रदर्शनी लगाई गई। इन पेंटिंग्स की ब्रिकी से हुई आय को इस कॉज के लिए रखा गया।

लड़कियों की शिक्षा को लेकर ५ तरह की समस्याएं
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी की बिक्री से 28 लाख रुपए की राशि जुटाई गई। टीम के अन्य सदस्य जेनित सिंघवी, बिंदा पटेल, साक्षी शाह, विधि पारीख और जानवी काकडिय़ा लड़कियों को शिक्षा से जोडऩे के लिए स्टेशनरी दे रहे हैं। अरनव का कहना है कि भारत के ग्रामीण क्ष़ेत्रों में लड़कियों की शिक्षा को लेकर पांच तरह की समस्याएं हैं। इसमें परिवार का आर्थिक रूप से कमजोर होने, शिक्षण संस्थानों की घर से दूरी होने के साथ मानसिकता से जुड़े कारण भी शामिल हैं। जैसे पढ़ाई के बाद लडक़ी की मांगें बढ़ जाएंगी, लड़कियों की शिक्षा के बाद उनके विवाह में समस्याएं आएंगी और शादी के बाद उन्हें दूसरे घर ही जाना है तो पढ़ाने का क्या फायदा।

समस्याओं को दूर करने की दिशा में कर रहे काम
उन्होंने कहा कि हम इन्हीं पांचों समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए हम नुक्कड़ नाटक के जरिए लोगों की मानसिकता बदलने, स्कूल स्टेशनरी और फीस में सहयोग करने और स्कूलों में शौचालय बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि बैल्जियम में स्कूल की ओर से ही बच्चों को ट्रांसपोर्ट और स्टेशनरी की सुविधा दी जाती है। साथ ही सामान्य विषयों के साथ संगीत, खेल, भ्रमण जैसे विषयों को पढ़ाने और उन क्षेत्रों में करियर बनाने के बारे में बताया जाता है।

शिक्षा को लेकर ग्रामीण इलाकों में दिया संदेश
उन्होंने कहा कि टीम के सदस्य जयपुर के ग्रामीण इलाकों : सांभरीया, अचलपूरा, मूदड़ी, लवान, चौपड़ा का बालाजी, पालावाल सहित आठ जगहों पर बालिका शिक्षा को लेकर संदेश दे चुके हैं। इसके लिए टीम ने ना सिर्फ गांव में बालिकाओं के माता-पिता से बात की है, बल्कि स्कूल जाने वाली बालिकाओं और पंचायत समितियों से सम्पर्क किया है। पंचायत समितियों से बात कर टीम ने अपने उद्देश्य के बारे में बताया साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत समितियों की ओर से ज्यादा से ज्यादा बालिका शिक्षा पर जोर देने के लिए भी आग्रह किया।

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