गल्होत्रा साफ छवि और अलग इमेज बनाकर चलने वाले अफसरों में माने जाते हैं। सरकार के नजदीकी अफसर होने के नाते पिछले कई समय से डीजीपी पद के लिए उनका नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा था। गलहोत्रा 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे वर्तमान में एडीजी आर्म्ड बटालियन के पद पर तैनात हैं। इससे पहले वे राजस्थान पुलिस एकादमी के डायरेक्टर भी रह चुके हैं। सीबीआई दिल्ली में भी ज्वाइंट डायरेक्टर रह चुके हैं। गलहोत्रा मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं।
READ: कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर में शामिल टीम दरकिनार इससे पहले अजीत सिंह को पुलिस महानिदेशक पद पर सेवा विस्तार दिए जाने की भी चर्चा थी लेकिन उन्हें एक्सटेंशन नहीं मिल पाया। माना ये भी जा रहा है कि विदाई के बाद अब सरकार अजीत सिंह को किसी संवैधानिक पद पर बिठा सकती है, जिससे राजपूत लॉबी को साधकर रखा जा सके।
नए डीजीपी की दौड़ के लिए कई वरिष्ठ आईपीएस अफसरों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था। वरिष्ठ होने के नाते नवदीप सिंह, कपिल गर्ग भी थे, लेकिन ओपी गल्होत्रा इन सभी में सबसे पसंदीदा निकले। आईपीएस सुधीरप्रताप सिंह और सुनील मेहरोत्रा भी वरिष्ठ हैं, लेकिन वे पहले से अच्छे पदों पर हैं, इसलिए वे दौड़ में नजर नहीं दिखे।
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राजस्थान पुलिस 13 साल बाद भी नहीं तलाश सकी एक लड़का, प्रधानमंत्री की चिट्ठी भी नहीं आई किसी काम नवदीप सिंह के लिए ये बनी बाधाडीजीपी की दौड़ में सबसे सीनियर होमगार्ड डीजी नवदीप सिंह भी थे। लेकिन माना जा रहा है कि पत्नी के कांग्रेस से संबंध होना उनकी नियुक्ति में सबसे बड़ी बाधा थी। डीजी एसीबी रहते हुए सरकार के करीबी आईएएस अशोक सिंघवी पर शिकंजा कसना भी उनके लिए अड़चन साबित माना जा रहा है।