कार्यक्रम की शुरुआत महंत स्वामी अवधेशाचार्य के सानिनध्य में हुई। इस दौरान स्थानीय लोगों के अलावा मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न इलाकों से आए श्रद्धालुओं ने भी श्रमदान किया। मानव श्रंखला बनाकर मिट्टी को बाहर निकाला गया। युवाचार्य स्वामी राघवेंद्र ने बताया कि साल 2020 में अतिवृष्टि के कारण इस प्राचीन बावड़ी में पूरी तहर मिट्टी और मलवा भर चुका है।
जयपुर•May 28, 2022 / 04:41 pm•
abdul bari
पत्रिका अमृतं जलम्: गलताजी में स्वरूप खो चुकी प्राचीन बावड़ी को पुर्नजीवित करने के लिए शुरू हुआ श्रमदान
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