scriptExclusive Interview: राजस्थान में अबकी बार ज्यादा सीटें जीतेगी कांग्रेस – सचिन पायलट | Patrika Exclusive Interview By Amit Vajpayee's Lok Sabha Elections 2024 Conversation With Sachin Pilot | Patrika News
जयपुर

Exclusive Interview: राजस्थान में अबकी बार ज्यादा सीटें जीतेगी कांग्रेस – सचिन पायलट

Loksabha Election 2024: पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दावा किया है कि कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीट जीतेगी। उनकी नजर में जनता भाजपा शासन से उकता चुकी है। राज्य में गठबंधन पर पायलट ने पहली बार चुप्पी तोड़ी।

जयपुरApr 14, 2024 / 12:21 pm

Amit Vajpayee

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Patrika Exclusive Interview: पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दावा किया है कि कांग्रेस इस चुनाव में भाजपा से ज्यादा सीट जीतेगी। उनकी नजर में जनता भाजपा शासन से उकता चुकी है। राज्य में गठबंधन पर पायलट ने पहली बार चुप्पी तोड़ी। वह बोले, सीट छोड़ना किसी को अच्छा नहीं लगता पर गठबंधन का धर्म निभाना पड़ता है। राजस्थान में पूरी कांग्रेस एकजुट है। सचिन पायलट से अमित वाजपेयी की हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

पत्रिका: ऐसी कौनसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस यह दावा कर सकती है कि वह अकेले या गठबंधन में चुनाव जीतेगी?
सचिन: मैं सिर्फ इतना दावा कर सकता हूं कि इस बार कांग्रेस पार्टी भाजपा से ज्यादा सीटें जीतेगी। मैं बहुत बड़ी बातें नहीं करता हूं। देख रहा हूं कि सरकार नई बनी है लेकिन इसके बावजूद भी बदलाव की आहट साफ सुनाई दे रही है। शिक्षित बेरोजगार सवाल पूछ रहे हैं। अग्निवीर से भाजपा ने नौजवानों के फौज में जाने के रास्ते बंद कर दिए। सरकारी नौकरी में लाखों पद खाली पड़े हैं। दस साल में मूलभूत जीवन की जरूरतें प्रभावित हुई हैं। देश पर 2014 में 50 लाख करोड़ का कर्ज था। अब 10 साल बाद वह 250 लाख करोड़ का हो गया है। कर्ज बढ़ रहा है, प्रति व्यक्ति आय कम हुई है। अर्थव्यवस्था के आंकड़े बढ़ रहे हैं लेकिन उनसे आमजन की आय नहीं बढ़ रही बल्कि पूरा पैसा चंद लोगों तक सीमित है। महंगाई लोगों की कमरतोड़ रही है, बच्चे पालना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में कांग्रेस ही पूरे भारत में ऐसी पार्टी है, जो भाजपा को हरा सकती है।

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पत्रिका: जब विधानसभा चुनाव में जनता ने कांग्रेस को नकार दिया तो लोकसभा चुनाव में क्यों चुनेगी?
सचिन: नकारना मैं गलत शब्द नहीं मानता हूं क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का जो वोट प्रतिशत का अंतर था, वह मात्र एक से डेढ़ प्रतिशत था। इस बार भी हम सरकार रिपीट नहीं कर सके, इस बात का हमें बहुत खेद है। हम सबने पूरी ताकत लगाई लेकिन फिर भी कामयाब नहीं हो सके। अब जो चुनाव हैं, वह देश के चुनाव हैं। केन्द्र में पूर्ण बहुमत के बाद भी जो वादाखिलाफी हुई है, जैसे किसानों की आमदनी दोगुनी, दो करोड़ रोजगार देने की बात हो सब झूठ निकला। अभी जो आर्थिक विषमताएं हैं, संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न उठ रहे हैं। साथ ही निर्वाचित मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर लेना, ये सब एक तरह की आक्रमण की राजनीति है। इसके खिलाफ और जो शिक्षित बच्चों को रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। इन सभी मुद्दों पर चुनाव हो रहा है। ऐसे में मुझे विश्वास है कि कांग्रेस केन्द्र में सरकार बनाएगी।

पत्रिका: आपको वैभव गहलोत के प्रचार के लिए बुलाया नहीं गया या आप गए नहीं? क्या आप जाएंगे या नहीं?
सचिन: प्रदेश या देश में जहां उम्मीदवार मुझे बुला रहे हैं और पार्टी जहां के लिए आदेश दे रही है। मैं वहां जाकर पार्टी का प्रचार कर रहा हूं। चाहे राजस्थान हो या राजस्थान से बाहर हो। दो चरण राजस्थान के हैं। सात चरणों में देश का चुनाव है। जहां भी उम्मीदवार रिक्वेस्ट कर रहे हैं, एआईसीसी के जो भी आदेश हो रहे हैं, वहां जा रहा हूं।

पत्रिका: कांग्रेस का प्रचार ज्यादा आक्रामक नहीं दिख रहा है। आपकी और अशोक गहलोत की जोड़ी क्यों साथ खड़े होकर तीखे हमले करते नहीं दिखती?
सचिन: आक्रामकता तो होनी चाहिए लेकिन आक्रमण नहीं होना चाहिए। अभी भाजपा जैसे विपक्षी दलों और नेताओं को खत्म करने में जुटी है। उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है। छापे पड़ रहे हैं। राजनीतिक विरोधियों को प्रतिशोध की भावना से खत्म करने की कोशिश हो रही है, यह गलत है। राहुल जी, खरगे जी, प्रियंका जी हम सभी ने साथ मिलकर पूरी ताकत के साथ चुनावी रैलियों में प्रचार किया है, उसी की बदौलत हम टक्कर में हैं। हम सब व्यक्तिगत बातें पीछे छोड़कर पार्टी हित में लगे हुए हैं।

पत्रिका: कांग्रेस की नीतियों से खफा होकर बहुत नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, यह संगठन की कमी है, क्या पार्टी बिखराव की ओर बढ़ रही है?
सचिन: देखो चुनाव से पहले यह तो चलता ही रहता है। कई लोग आते हैं और कई लोग चले जाते हैं। बहुत सारे लोग कांग्रेस पार्टी को जॉइन भी कर रहे हैं। जाने वाले कुछ लोगों पर दबाव भी हो सकता है, मजबूरियां हो सकती हैं या लालच हो सकता है। यह तो उनका व्यक्तिगत निर्णय है। जनता तय करेगी कि उनका निर्णय सही था या गलत था। समय बताएगा और जनता बताएगी।

पत्रिका: भीलवाड़ा, राजसमंद, जयपुर में अंतिम समय पर प्रत्याशी बदलने पड़े। बांसवाड़ा में उम्मीदवारी को लेकर भी विवाद हुआ, क्या यह पार्टी नेतृत्व की विफलता नहीं है। इसका जिम्मेदार कौन है?
सचिन: ज्यादा विवाद किसी बात पर नहीं हुआ। हां एक-दो जगह पर पार्टी ने उम्मीदवार बदले क्योंकि कई लोगों ने कहा। जैसे जयपुर में स्वेच्छा से शर्माजी ने कहा कि मुझे लगता है कोई और लड़े तो अच्छा रहेगा। कभी-कभी टिकटों में अलग-अलग तरह की राय सामने आती है। वैसे अच्छा टिकट वितरण हुआ। बांसवाड़ा में जो हुआ, जिसका आप जिक्र कर रहे थे, मुझे पता नहीं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए था। इस तरह पूरा प्रकरण हुआ। क्योंकि पार्टी ने निर्णय लिया, समर्थन किया, विड्रा नहीं हो पाया। मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, लेकिन वो घटनाक्रम अवोइडेबल था।

पत्रिका: चुनावी सभाओं में आपके भाषण के कुछ तंज भी काफी चर्चित हो रहे हैं। जैसे उदयलाल आंजना को आपने निशाने पर लिया। क्या इससे पार्टी मजबूत होगी?
सचिन: उदयलाल आंजना से मेरी दोस्ती बहुत पुरानी है। वो हमेशा मेरे साथ मजाक करते रहते हैं और मैं उनके साथ, मैं तो विशेष रूप से सारे काम छोड़कर उनका प्रचार करने गया था। वहां जबरदस्त मीटिंग हुई और आंजना जी बड़े मार्जिन से चुनाव जीतेंगे। हमारा चुनाव प्रचार सिर्फ हमारे मेनिफेस्टो से है। अपनी पार्टी नेताओं की विचारधारा और संगठन की बात के साथ भाजपा की विफलताओं पर हम बात कर रहे हैं। हमेशा संयमित भाषा से ही प्रचार करना चाहिए। एक-एक शब्द नाप-तौल कर बोलना चाहिए। खासकर चुनाव के समय में। क्योंकि शब्द कभी वापस नहीं आते।

पत्रिका: गहलोत, डोटासरा, जितेन्द्र सिंह और आप खुद बड़े नेता होने के बावजूद चुनाव में नहीं उतरे, क्या सभी को हार का डर सता रहा है?
सचिन: ऐसा नहीं है, जहां डोटासराजी हैं तो वो सीट हमारे एलायंस को दी है तो फिर डोटासराजी कहां से चुनाव लड़ेंगे। पुत्र चुनाव लड़ने का इच्छुक है तो अशोकजी कैसे चुनाव लड़ेंगे। मुझे जिम्मेदारी दी है छत्तीसगढ़ की और कैंपेन करने की। भंवर जितेन्द्रसिंह जी इंचार्ज हैं असम और मध्यप्रदेश के। सभी लोगों को जिम्मेदारी दी है कि हम अधिक से अधिक उम्मीदवार जिताएं। एआईसीसी जिम्मेदारी तय करती है। मुझे जो भी जिम्मेदारी दी है मैंने वो काम किया है।

पत्रिका: राजसमंद के प्रत्याशी ने तो कह दिया कि मुझसे बिना पूछे टिकट दे दिया। मुझे चुनाव लड़ना ही नहीं था, मैं तो विदेश में था ?
सचिन: हां वो कहीं न कहीं मिस कम्यूनिकेशन रहा होगा, अब ठीक है। वहां एक और टिकट दी गई है, लेकिन वहां अब दूसरे मजबूत उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन इस तरह की स्थिति से बचा जाना चाहिए था।

पत्रिका: प्रदेशाध्यक्ष की सीट ही गठबंधन को सौंप दी। बांसवाड़ा की परम्परागत सीट पर समझौता कर लिया। नागौर भी गठबंधन को सौंप दी। ऐसा क्यों?
सचिन: जब इतना बड़ा इंडिया गठबंधन बना है तो हर राजनीतिक दल को कुछ देना और छोड़ना पड़ेगा। कोई पार्टी नहीं चाहती कि अपनी जमीन छोड़े, लेकिन जब बड़ा लक्ष्य है कि एनडीए को हराना है, भाजपा को हराना है तो कांग्रेस ने भी कड़ा घूंट पीकर अपने राज्यों में एडजस्ट किया है। कोई सीट देना किसी राजनीतिक दल को अच्छा नहीं लगता, लेकिन गठबंधन धर्म तो निभाना पड़ेगा।

पत्रिका: क्या गठबंधन की राजनीति से यूपी की तर्ज पर राजस्थान में भी कांग्रेस कार्यकर्ता खत्म नहीं हो जाएंगे। जो एक बार दूसरी पार्टी का नारा लगा देगा तो फिर कांग्रेस से क्यों जुड़ेगा?
सचिन: मैं इस बात से सहमत नहीं हूं। यह विशेष परिस्थितियां हैं। राजस्थान में हमेशा से सभी सीटों पर लड़ते आए हैं। विधानसभा में भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ा, कोई गठबंधन नहीं था। यह गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित है। अब जब विशेष चुनौती खड़ी हुई है। जिस तरह भाजपा सरकार विपक्ष को प्रतिशोध की भावना से खत्म करने पर तुली है तो सभी दलों को इकट्ठा आना पड़ा। जब सब जुड़ेंगे तो सभी हिस्सेदारी भी मांगते हैं। मैं नहीं मानता कि कांग्रेस का कार्यकर्ता कहीं जाएगा। हमारा कार्यकर्ता हर गांव-ढाणी में बैठा है। वह सिर्फ इस लोकसभा चुनाव में गठबंधन के साथ है। ताकि विपक्षी एकता का संदेश पूरे देश में जाए।

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