इन अधिकारियों के निर्देश पर श्रीगंगानगर पुलिस जिसे बेकसूर समक्ष रही थी, इंट्रोप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) पर उसके नाम से सर्च किया तो चौकाने वाला तथ्य सामने आया। बेकसूर लगने वाला आरोपी पहले कई वारदात को अंजाम दे चुका था और जेल भी जा चुका था। हालांकि पहचान होने के बाद से आरोपी फरार है। अब पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
मामला श्रीगंगानगर में गत वर्ष का है। वहां पर लाखों रुपए रखा एटीएम लुटेरे उखाड़ ले गए थे। एक साल से पुलिस एटीएम उखाड़ ले जाने वालों का पता करने में जुटी थी। पुलिस को कुछ माह पहले ही एक संदिग्ध मोबाइल नंबर मिला। नंबर के आधार पर पुलिस सिम मालिक तक यूपी के फरूखाबाद पहुंची। वहां पर सिम मालिक का घर दयनीय स्थिति में था। पता करने पर उसकी स्थिति भी दयनीय बताई गई थी। दो बार पुलिस सिम मालिक के यहां पहुंची। लेकिन दोनों बार उसकी स्थिति सही मिलने पर वारदात में उसका हाथ नहीं होने की संभावना जताई गई।
पुलिस टीम ने एसपी हेमंत शर्मा और एसपी के जरिए जयपुर में एससीआरबी के डीआईजी शरत कविराज से संपर्क किया। दोनों अधिकारियों ने आईसीजेए तकनीक का उपयोग करने का सुझाव दिया। पुलिस ने सिम मालिक का नाम और पता आईसीजेएस तकनीक पर डाला, वैसे ही उसकी कुंडली सामने आ गई। आरोपी ने इस तरह की कई वारदात को अंजाम दिया था। अलग-अलग स्थानों की पुलिस ने तीन चार बार उसे भी गिरफ्तार कर चुकी थी। लेकिन जमानत पर छूटने के बाद से वह फरार है। अब श्रीगंगानगर पुलिस टीम उसको तलाश रही है।
देशभर के अपराधियों की कुंडली आईसीजेएस में देशभर की एफआइआर की जानकारी रहती है। साथ में सभी जेलों में जाने वाले कैदियों की भी सूची इसमें है। अभी इस तकनीक में फिंगर प्रिंट और आंखों की पुतली से नहीं जोड़ा गया। इसमें नाम के आधार पर ही सर्च किया जाता है। सभी थाने इस तकनीक से जुड़े हुए भी हैं।
किसी भी वारदात में किसी का भी नाम सामने आता है तो उसे आईसीजेएस पर सर्च करने से बहुत लाभ मिल सकता है। पुराने अपराध की कुंडली सामने आ जाती है। ब्लाइंड एटीएम लूट के आरोपी की इसी तकनीक से पहचान हो सकी है।
हेमंत शर्मा, एसपी, श्रीगंगानगर