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जयपुर

निकाय प्रमुख चुनाव के बाद उप प्रमुख पद की होगी सियासत, फिर कई जगह एक साथ रहेंगे पार्षद

बुधवार को निकाय उप प्रमुख पद का चुनाव

जयपुरNov 26, 2019 / 05:30 pm

Ankit

निकाय प्रमुख चुनाव के बाद उप प्रमुख पद की होगी सियासत, फिर कल तक कई जगह एक साथ रहेंगे पार्षद

निकाय प्रमुख चुनाव के बाद उप प्रमुख पद की होगी सियासत, फिर कल तक कई जगह एक साथ रहेंगे पार्षद

जयपुर. प्रदेश में निकाय प्रमुख चुनाव का सियासी घमासान मंगलवार को निकाय प्रमुख चुनाव मतदान के साथ भले ही समाप्त हो जाएगी लेकिन इसके साथ ही बुधवार को होने वाले निकाय उप प्रमुख चुनाव पद की सियासत शुरू हो जाएगी। सात दिन की बाड़ाबंदी के बाद अधिकांश निकायों के पार्षद मंगलवार को मतदान के लिए पहुंचेंगे।पार्टियों की रणनीति के तहत जिन स्थानों पर घमासान होगा या खींचतान होगी, उन निकायों के पार्षदों को बुधवार को उप प्रमुख के चुनाव तक भी एक साथ ही रखा जाएगा जिससे कि किसी भी तरह की भीतरघात या सेंधमारी से बचा जा सके।
जिन निकायों में जिस दल का निकाय प्रमुख चुना जाएगा, वहां अपने ही दल का उप प्रमुख बनाने के लिए पार्टियां कोशिश कर रही हैं। हालांकि आमतौर पर जिस दल का निकाय प्रमुख चुनाव जाता है उसी दल का निकाय उप प्रमुख चुन लिया जाता है और मतदान की स्थिति नहीं आती। लेकिन सियासी घमासान के चलते दोनों ही दल जोखिम नहीं लेना चाहते। गौरतलब है कि पार्षदों की बाड़ाबंदी के दौरान दोनों ही दलों ने पार्षदों को गुप्त स्थानों पर दूर-दूर भेज दिया था। लेकिन अब उप प्रमुख चुनाव के लिए उस सख्त बाड़ाबंदी के बजाय निकाय क्षेत्र में ही एक साथ रखने की तैयारी है।
एक साथ बैठकर तय करेंगे रणनीति

भाजपा और कांग्रेस ने निकाय उप प्रमुख चुनाव के लिए रणनीति तैयार की है। भाजपा के निकाय चुनाव प्रभारी, जिलों के प्रभारी निकाय प्रमुख चुनाव के बाद पार्षदों के साथ रहेंगे। इस दौरान पार्षदों की रायशुमारी की जाएगी। साथ ही उस क्षेत्र के सामाजिक व अन्य समीकरणों का भी ध्यान रखा जाएगा।
जोड़ तोड़ में पिछली बार बदला गणित
2014 में हुए निकाय प्रमुख चुनाव में गंगानगर, बिसाऊ, झुंझुनंू, पिलानी और टोंक में निकाय प्रमुख चुनाव में भाजपा प्रत्याशी चुने गए थे। वहीं इन निकायों में उप प्रमुख के पद पर निर्दलीय चुने गए। मकराना में निकाय प्रमुख पद कांग्रेस के खाते में गया था, उप प्रमुख पद पर यहां निर्दलीय चुना गया।
नगर निगम ::: खाता खोलना कांग्रेस के लिए चुनौती

इधर, मंगलवार को होने वाले निकाय प्रमुख चुनाव में कांग्रेस के लिए उदयपुर, भरतपुर और बीकानेर नगर निगम में महापौर बनाना बड़ी चुनौती है। उदयपुर में भाजपा को बहुमत मिला है। भरतपुर और बीकानेर नगर निगम में भी भाजपा की स्थिति कांग्रेस से बेहतर है। परिणाम आने के बाद तीन निकायों में निर्विरोध कांग्रेस का प्रमुख बनने से कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है। कांग्रेस प्रदेश कार्यालय से निर्देश के बाद से ही जिले के प्रभारी मंत्री, जिला प्रभारी, जिलाध्यक्ष और क्षेत्रीय विधायक लगातार सक्रिय हैं। निकाय प्रमुख का चुनाव कराने के बाद उप-प्रमुख की जिम्मेदारी भी इन्हीं टीमों पर रहेगी।
भरतपुर और बीकानेर से आस

कांग्रेस नेताओं को भरतपुर और बीकानेर नगर निगम में महापौर बनता हुआ दिखाई दे रहा है। 65 वार्डों वाले भरतपुर नगर निगम में भाजपा को 22 और कांग्रेस के पास 18 पार्षद हैं। यहां निर्दलीय पार्षदों की संख्या 22 है। चुनाव परिणाम आने के बाद पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह सक्रिय हैं। 22 पार्षदों में से कई से कांग्रेस का शीर्ष और क्षेत्रीय नेतृत्व संपर्क में है। वहीं, 80 पार्षदों वाले बीकानेर नगर निगम में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच 8 पार्षदों का ही अंतर है। यहां 11 निर्दलीय और एक बसपा का पार्षद है। महापौर बनाना दोनों दलों को निर्दलीयों के सहयोग के बिना संभव नहीं है।

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