भारत में वायु प्रदूषण से हर पांच मिनट में एक नवजात और हर तीन मिनट में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत हो जाती है। पीएम 2.5 के कारण नवजात में बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं।
गर्भस्थ शिशु को इस तरह खतरा
– हवा में व्याप्त विषाक्त धूल कणों से मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के जीवित रहने की संभावना कम हो सकती है
– प्रदूषित हवा से मृत शिशु, समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन रह सकता है
– गर्भ में पल रहे भ्रूण में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी का खतरा – माताओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की आशंका
– बच्चों के अविकसित दिमाग का खतरा
जरूरत इस बात की
– घरों और उद्योगों के लिए स्वच्छ ईंधन
– शून्य उत्सर्जन वाले वाहन – चौपहियां वाहनों पर कम निर्भरता
– कचरे को जलाने से रोकने के विकल्प
वायु प्रदूषण से शिशु मृत्यु टॉप टेन राज्य (बच्चों की आयु 5 वर्ष से कम)
उत्तरप्रदेश 63204
बिहार 26267 राजस्थान 18909
मध्यप्रदेश 18501 पश्चिम बंगाल 7729
गुजरात 7660 महराष्ट्र 6561
झारखंड 6045
असम 5966 टॉपिक एक्सपर्ट : खराब हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थ में से सबसे खतरनाक 2.5 माइक्रोमीटर पीएम 2.5 के कण श्वांस के जरिये शरीर में पहुंच जाते हैं। ये लाल रक्त कोशिका से भी छोटे होते हैं। फेफड़ों में गहराई तक जाकर ये आसानी से रक्त प्रवाह में शामिल हो जाते हैं। इससे पूरा शरीर प्रभावित होने लगता है। एक सामान्य चार किलोग्राम वजनी शिशु एक मिनट में करीब 184 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 माइक्रोग्राम ग्रहण कर लेता है। दिल्ली सहित उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में वायु प्रदूषण बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इन राज्यों में यह समस्या अब सिर्फ मौसमी नहीं रहकर पूरे वर्ष एक समान रहती है। भारत की कुछ जनसंख्या में करीब 10 प्रतिशत आबादी 0 से 14 वर्ष आयु वर्ग की है।