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जयपुर

प्रदूषण बन रहा शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण, राजस्थान में हर साल दम तोड़ रहे 19 हजार

हानिकारक पीएम 2.5 के कण श्वांस के जरिये जा रहे रक्त प्रवाह में, शिशु स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा

जयपुरDec 19, 2023 / 07:22 pm

Vikas Jain

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लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण नवजात शिशुओं की सेहत के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है। गर्भस्थ शिशु भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। जहरीली हवा के प्रभाव से जन्मजात विकृतियों के साथ दीर्घकालिक कुप्रभाव का सामना बच्चों को करना पड़ रहा है। राजस्थान में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से हर साल 18 हजार से अधिक शिशु दम तोड़ रहे हैं। सर्वाधिक 63 हजार से अधिक मौतों के साथ उत्तर प्रदेश देश में नंबर वन है। दूसरे नंबर पर बिहार और तीसरे पर राजस्थान है। पिछले कुछ वर्ष में वायु प्रदूषण शिशु मृत्यु दर का सबसे बड़ा कारण बनकर उभरा है।

भारत में वायु प्रदूषण से हर पांच मिनट में एक नवजात और हर तीन मिनट में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत हो जाती है। पीएम 2.5 के कारण नवजात में बीमारियां भी तेजी से बढ़ी हैं।

गर्भस्थ शिशु को इस तरह खतरा


– हवा में व्याप्त विषाक्त धूल कणों से मां के गर्भ में पल रहे भ्रूण के जीवित रहने की संभावना कम हो सकती है
– प्रदूषित हवा से मृत शिशु, समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वजन रह सकता है
– आयु बढ़ने के साथ डायबिटीज का खतरा
– गर्भ में पल रहे भ्रूण में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी का खतरा

– माताओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की आशंका
– बच्चों के अविकसित दिमाग का खतरा
– मस्तिष्क व तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारियों सहित फेफड़ों की कार्यप्रणाली हो सकती है प्रभावित


जरूरत इस बात की


– घरों और उद्योगों के लिए स्वच्छ ईंधन
– शून्य उत्सर्जन वाले वाहन

– चौपहियां वाहनों पर कम निर्भरता
– कचरे को जलाने से रोकने के विकल्प
– मास्क का इस्तेमाल


वायु प्रदूषण से शिशु मृत्यु टॉप टेन राज्य (बच्चों की आयु 5 वर्ष से कम)


उत्तरप्रदेश 63204
बिहार 26267

राजस्थान 18909
मध्यप्रदेश 18501

पश्चिम बंगाल 7729
गुजरात 7660

महराष्ट्र 6561
झारखंड 6045
ओडि़शा 6020
असम 5966

टॉपिक एक्सपर्ट :

खराब हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थ में से सबसे खतरनाक 2.5 माइक्रोमीटर पीएम 2.5 के कण श्वांस के जरिये शरीर में पहुंच जाते हैं। ये लाल रक्त कोशिका से भी छोटे होते हैं। फेफड़ों में गहराई तक जाकर ये आसानी से रक्त प्रवाह में शामिल हो जाते हैं। इससे पूरा शरीर प्रभावित होने लगता है। एक सामान्य चार किलोग्राम वजनी शिशु एक मिनट में करीब 184 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 माइक्रोग्राम ग्रहण कर लेता है। दिल्ली सहित उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में वायु प्रदूषण बड़ा खतरा बनता जा रहा है। इन राज्यों में यह समस्या अब सिर्फ मौसमी नहीं रहकर पूरे वर्ष एक समान रहती है। भारत की कुछ जनसंख्या में करीब 10 प्रतिशत आबादी 0 से 14 वर्ष आयु वर्ग की है।
डॉ.अशोक गुप्ता, शिशु रोग विशेषज्ञ

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