परिजनों का कहना है कि डॉक्टर ने दाएं पैर की एंजियोग्राफी करने की सलाह दी, जिस पर दो लाख रुपए का खर्चा बताया। बेटे मुकेश ने इसके बाद उसी हॉस्पिटल में ही दिखाया। यहां डॉक्टरों ने भर्ती करने की सलाह दी और एक से डेढ़ लाख रुपए खर्चा बताया। इसके बाद मरीज को 11 मार्च को भर्ती कर अगले दिन दाएं पैर की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी कर दी।
मरीज ने पुत्र को बताया…बाएं पैर में हो रहा है दर्द पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार मरीज ने अपने पुत्र को बताया कि उसके बाएं पैर में दर्द हो रहा है। पुत्र ने चिकित्सकों से इस बारे में बात की तो उसे बताया गया कि बाएं पैर से एंजियोप्लास्टी कर दाएं पैर में रक्त संचार दिया है। यह सामान्य बात है। 13 मार्च को जब पुत्र अपने पिता से मिलने गया, तो उन्होंने स्थिति में सुधार नहीं होने को कहा। परिजनों का आरोप है कि जब डॉक्टर से इस बारे में शिकायत की तो उन्होंने डांटकर बाहर भेज दिया। इसके बाद मरीज को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी। घर लाने के बाद मरीज का बायां पैर काला पडऩे लग गया। उपचार करने वाले डॉक्टर को इस बारे में फोन पर सूचना दी तो उन्होंने 18 मार्च को हॉस्टिपल में दिखाने को कहा। परिजन मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाया। चिकित्सकों ने बताया कि पैर में गैंगरिन हो गया है पैर नहीं काटा गया तो जान को खतरा है। 22 मार्च को मरीज का बायां पैर काट दिया। इस दौरान अस्पताल प्रशासन ने दो लाख रुपए जमा करवा लिए। मरीज के पुत्र ने चिकित्सकों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गलत इलाज किया है।
बाएं पैर को काटने की आवश्यकता थी
उधर नारायण अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज राजाराम मीणा पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज से पीडित थे। जिससे उनके दोनों पैरों में रक्त का प्रवाह था। उपचार करने वाले डॉक्टरों ने मरीज के दाएं पैर का इलाज किया और मरीज को स्थिर स्थिति में अस्पताल से छुटटी दे दी गई। चार दिन बाएं पैर में गैंगरीन से पीडित होकर मरीज वापस अस्पताल आया। मरीज में गैंगरीन को आगे बढने से रोकने और मरीज का जीवन बचाने के लिए उसके बाएं पैर को काटने की आवश्यकता थी। मरीज के साथ हमे सहानूभूति है, लेकिन इस तरह की जटिलता दुर्लभ है।