राजस्थान के सीकर जिले के थोई कल्याणपुरा के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान राजकुमार झाझड़िया पुलवामा हमले बाल-बाल बचे थे। जब उन्होंने पुलवामा आतंकवादी हमले का आंखों देखा हाल सुनाया तो हर किसी का दिल दहल उठा। उनकी आंखों के सामने उनके 40 से अधिक साथी शहीद हो गए। राजस्थान के जहन में भी वो धमाका जिंदा है। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा जिले के अवंतीपोरा इलाके में सीआरपीएफ के 78 वाहनों का काफिला गुजर रहा था। जवान राजकुमार ने बताया कि वे सबसे आगे चल रही गाड़ी में सवार थे। अचानक तीसरी बस में जोरदार विस्फोट हुआ और बस के परखच्चे उड़ गए। अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इसके बाद राजकुमार और उनके साथियों ने मोर्चा संभाला और घायल जवानों को बचाने लगे।
राजकुमार ने बताया था कि हमले के बाद परिजनों का कई बार फोन आया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया। वे अपने साथियों की मदद करने में लगे हुए थे। हालांकि उन्होंने फोन रिसीव कर परिवार को बताया दिया था कि वे सुरक्षित है लेकिन उनके कई साथी शहीद हो गए हैं। परिजनों ने बताया कि हमले के बाद उनकी सांसे अटक गई थी। काफी फोन करने के बाद भी बेटे ने जब फोन नहीं उठाया तो ज्यादा चिंता होने लगी। लेकिन चार घंटे बाद बेटे का फोन आया तो सांस में सांस आई। पाकिस्तानी जमीन से चलने वाले संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आतंकी संगठन और उनके मददगारों को बड़ी कीमत चुकानी होगी और उन्होंने ऐसा कर दिखाया। भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 लड़ाकू विमानों के एक ग्रुप ने पाक अधिकृत कश्मीर ( पीओके ) में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक कैंप पर 1000 किलोग्राम बम बरसाए। इस हमले में आतंकी संगठन के कई ठिकाने तबाह हो गए। पुलवामा हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तल्ख है। पुलवामा में सीआरपीफ पर आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाक पर कूटनीतिक वार के साथ ही कारोबारी झटका देते हुए उससे ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा वापस ले लिया था।